भोपाल। स्थानीय और बाहरी उम्मीदवारों के बीच आयु सीमा विवाद के चलते नौकरियां अटक गईं हैं। कोई नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने स्थानीय उम्मीदवारों को लुभाने के लिए आयु सीमा बढ़ा दी थी। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर शिवराज सिंह की छूट खत्म हो गई। अब नियमों में संशोधन किया जाना है परंतु चुनाव से पहले शिवराज सिंह ने कोई फैसला नहीं किया था। अब यह फाइल सीएम सचिवालय भेज दी गई है ताकि सीएम कमलनाथ के आदेशानुसार प्रक्रिया शुरू की जा सके।
पत्रकार वैभव श्रीधर की रिपोर्ट के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर संशोधन पर निर्णय की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दी है। शिवराज सरकार ने चुनाव से पहले 12 मई 2017 को स्थानीय युवाओं को आकर्षित करने के लिए सरकारी नौकरी में बाहरी उम्मीदवारों की आयु सीमा 21 से 28 साल तय कर दी थी। इसके पीछे मकसद यह था कि दूसरे राज्यों के व्यक्ति आकर यहां के युवाओं के अवसर न छीन पाएं। सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के वक्त इस प्रावधान का विरोध हुआ और उत्तरप्रदेश के मुकेश कुमार कमर हाईकोर्ट, जबलपुर चले गए।
अदालत ने सरकार की इस व्यवस्था को संविधान की भावना के खिलाफ पाया। इसकी वजह से सहायक प्राध्यापक की भर्ती में सभी को मौका मिल गया। तब से ही नियमों में संशोधन की फाइल चल रही है, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा है। चार माह बाद सामान्य प्रशासन विभाग में आठ अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री सचिवालय से फाइल बैरंग लौट आई। अब एक बार फिर सामान्य प्रशासन विभाग ने आयु सीमा के बारे में निर्णय लेने के लिए फाइल मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजी है। बताया जा रहा है कि आयु सीमा में छूट के प्रावधान में संशोधन के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
किस श्रेणी के लिए क्या रखे हैं प्रावधान
राज्य लोकसेवा आयोग के माध्यम से भरे जाने वाले सीधी भर्ती के पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 28 साल रखी गई। इसमें प्रदेश के सामान्य वर्ग के पुरुषों को 12 साल की छूट दी गई यानी वे 40 साल तक परीक्षा में हिस्सा ले सकते हैं। इसी तरह सामान्य महिला को 17 साल की छूट यानी 45 साल तक भर्ती का मौका दिया। इसी तरह पुरुष व महिला शासकीय कर्मचारी, निगम, मंडल, स्वशासी संस्था के कर्मचारी और नगर सैनिक को भी 17 साल की छूट दी गई। अजा व अजजा और निशक्तजन वर्ग के आवेदकों को भी 17 साल यानी 45 वर्ष की आयु तक भर्ती की पात्रता मिली।
4 माह बाद नस्ती सीएम सचिवालय वापस
राज्य लोकसेवा आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर इस मामले में तस्वीर साफ करने पत्र लिखा था। सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि एवं विधायी विभाग से अभिमत मांगा तो विभाग ने प्रावधान में अदालत की मंशा के मुताबिक बदलाव की सिफारिश की। इसके आधार पर जून 2018 के अंतिम सप्ताह में प्रस्ताव निर्णय के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा गया, लेकिन यहां फाइल अक्टूबर 2018 तक रखी रही।
विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद फाइल 'मूलत: नस्ती वापस" लिखकर भेज दी गई। आयु सीमा को लेकर कोई फैसला नहीं होने की वजह से विभागों के भर्ती प्रस्ताव पर आयोग कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर मुख्यमंत्री सचिवालय को फाइल भेजी है ताकि इस बारे में निर्णय लेकर विभागों को बताया जा सके।