नई दिल्ली। कथित चिटफंड कंपनी GOLDEN FOREST और GOLDEN PROJECT में देश भर के लाखों लोगों ने निवेश किया था। बाद में पता चला कि यह निवेश योजना अवैध थी। सबका पैसा फंस गया। सोनिपत के एक शिक्षक ने 18 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट में केस जीतकर ही दम लिया। अब सभी निवेशकों के पेमेंट शुरू हो गए हैं।
सोनीपत शहर के सेक्टर 23 में रहने वाले कला अध्यापक नरेश आकाश के संघर्ष की दास्तां उनके कमरे की टेबल पर लगे फाइलों के ढेर बयां कर रहे हैं। नरेश आकाश ने बताया कि 1999 में उनके द्वारा गोल्डन फॉरेस्ट नामक कम्पनी में एक-दूसरे की देखा-देखी अपनी जमा पूंजी निवेश कर दी। साढ़े तीन साल में राशि डबल करने का झांसा दिया गया। चंडीगढ़ में मनीमाजरा में कंपनी का कार्यालय था।
उन्हीं की तरह पंजाब व हरियाणा ही नहीं देशभर से हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी जमा पूंजी निवेश की। उनकी जमा की गई मेहनत की कमाई का उक्त कम्पनी द्वारा निर्धारित समयावधि पश्चात भुगतान के रूप में चेक दिया गया। यह बैंक से बाउंस हो गया। वे जब कम्पनी के कार्यालय पहुंचे तो उन्होंने देखा उन जैसे सैकड़ों निवेशक अपना पैसा वापस पाने के लिए धक्के खा रहे थे। बस इसके बाद इस झांसे के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला लिया।
पहले हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
हजारों करोड़ की कंपनी से संघर्ष करना आसान नहीं था। फिर भी दिसंबर 2000 में केस फाइल कर दिया। इसके बाद अन्य लोग भी साथ जुड़ते चले गए। देशभर से शिकायतें आने लगीं तो सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2003 में शिक्षक नरेश आकाश के केस को आधार बनाकर करीब 191 मामलों को एक साथ जोड़ लिया। चंडीगढ़ में मामला दर्ज होने के बाद कंपनी से जुड़े लोग जेल पहुंच गए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लेते हुए कंपनी की संपत्ति अटैच कर कमेटी के माध्यम से उसकी बिक्री करवाकर निवेशकों की राशि लौटाने के आदेश दिए।
26 सितंबर 2018 सुप्रीम कोर्ट ने क्लेम फाइल करने के लिए नोटिस जारी करवाया। बाद में निवेशकों से खाते और जरूरी कागजात लिए। अब निवेशकों के खातों में पहली किस्त की राशि आनी शुरू हो गई है। नरेश आकाश को दुख है कि इस लम्बी न्यायिक प्रक्रिया में उनके कुछ संघर्ष के बुजुर्ग साथी किशोरी लाल, रामनिवास गुप्ता जैसे अनेक साथी अब इस दुनिया में नहीं हैं।
अब दूसरी कंपनियों में फंसे निवेशक भी उम्मीद में :
लम्बे संघर्ष के पश्चात सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कम्पनी गोल्डन फॉरेस्ट कमेटी द्वारा क्लेम वेरिफाई होने के पश्चात निवेशकों के बैंक अकाउंट में सीधे पैसे आने शुरू हो गए हैं। सोनीपत के डाॅ. हुकम सिंह, भगवत पालीवाल, सरिता, राजेश, पवन जैन, हिसार के गुलशन, करनाल के नरेश गोयल, उत्तर प्रदेश, रूड़की से तेजपाल, मध्यप्रदेश उज्जैन से मोहम्मद इब्राहिम, राजस्थान के दिनेश कोठारी, बिहार के अनिल गुप्ता आदि ने खुशी जताई है। इसी तरह पर्ल्स कंपनी में निवेश करने वाले हजारों निवेशकों की राशि फंसी है। सेबी में यह मामला विचाराधीन है।