नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 यानी दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे 'संपूर्णता' में इसकी संवैधानिक वैधता को मान्यता देते हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिनियम में संबंधित पक्ष से आशय कारोबार से जुड़ा कोई व्यक्ति होना चाहिए। इसी के साथ न्यायालय ने विभिन्न कंपनियों द्वारा आईबीसी के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने लोन डिफॉल्टर्स पर शिकंजा कसने के लिए इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड लाया। इसमें इनसॉल्वेंसी प्रोसेस का सामना कर रही कंपनियों को प्रमोटर्स के हाथों में सौंपने से रोकने का प्रावधान किया गया। इससे इन कंपनियों के प्रमोटर्स का वापस इन कंपनियों पर कंट्रोल करना असंभव हो गया है।