भोपाल। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अधिकारियों को अब उन तमाम पुरानी फाइलों को खंगालने के काम पर लगा दिया है जिनमें मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ का नाम आया था। रणनीति है कि लोकसभा चुनाव से पहले कोई ना कोई धमाका किया जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी काम में जुटे हुए हैं।
गृह मंत्रालय में दिल्ली और देश के अन्य भागों में सिख विरोधी दंगों से संबंधित पुरानी फाइलों को खंगाल रहा है। साथ ही नानावती आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है जिसने इन दंगों में कांग्रेसी नेताओं की भूमिका के संबंध में विस्तार से काम किया है। रिकार्ड में दो प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज हैं, जिन्होंने कमलनाथ का नाम लिया है। इनमें से एक कांग्रेसी नेता हैं और 1 नवम्बर की दोपहर बाद उस समय गुरुद्वारा रकाबगंज रोड के बाहर मौजूद थे जब दंगे भड़के थे। यद्यपि नानावती आयोग ने कहा कि कमलनाथ को इसमें आरोपी बनाना संभव नहीं। इस दिन के घटनाक्रम के विवरण में कमलनाथ को जोड़ा गया है और 2 महत्वपूर्ण प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा उनका नाम लिया गया है।
कमलनाथ की कथित भूमिका गवाह नं. 2 मुख्त्यार सिंह, जो गुरुद्वारे के स्टाफ क्वार्टर में रहता था और गवाह नं. 17 मनीष संजय सूरी, जो तब ‘इंडियन एक्सप्रैस’ का स्टाफ रिपोर्टर था, के बयान पर आधारित है। कमलनाथ द्वारा दायर किया गया जवाब ‘अस्पष्ट’ है। नानावती आयोग ने कहा कि गवाहों ने बताया कि कमलनाथ को भीड़ में देखा गया। आयोग ने यह भी रिकार्ड किया कि कमलनाथ ने यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि वह किस समय वहां गए थे और कितना समय वहां ठहरे थे। आयोग ने यह निष्कर्ष दिया कि बेहतर गवाहों की गैर-मौजूदगी के कारण यह कहना संभव नहीं कि कमलनाथ ने किसी भी तरह से भीड़ को उकसाया या वह गुरुद्वारे पर हमले में संलिप्त थे। अब गृह मंत्रालय इस बात का पता लगा रहा है कि आयोग की रिपोर्ट पर आगे कार्रवाई क्यों नहीं की गई जिसमें कहा गया था कि बेहतर गवाह मौजूद नहीं थे। बाद की सरकार को बेहतर गवाह ढूंढने के लिए और जांच करनी चाहिए थी।
रिपोर्टर संजय सूरी ने भी कहा कि कमलनाथ ने गुरुद्वारे के निकट स्थिति पर काबू पाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया था। ‘अब ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि सूरी को इस बात के लिए राजी किया जाए कि वह लंदन से वापस आए और कमलनाथ के खिलाफ एक एफ.आई.आर. दर्ज करे। एक बार नई एफ.आई.आर. दर्ज की गई तो पुलिस नए सिरे से कमलनाथ के खिलाफ केस की जांच करेगी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कमलनाथ को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के लिए कांग्रेस पर कटाक्ष करने के साथ ही अब यह स्पष्ट है कि एफ.आई.आर. शीघ्र हो सकती है। इससे भाजपा-अकाली दल को पंजाब और दिल्ली तथा अन्य सिख बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को घेरने में मदद मिलेगी।