भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गणतंत्र के उत्सव के रूप में प्रसिद्ध आयोजन 'LOKRANG' अपने 34वें साल में आकर नौकरशाही का शिकार हो गया। यह कमलनाथ सरकार का पहला 'लोकरंग' है जो फीका रह जाएगा क्योंकि नौकरशाहों ने इस बार यहां स्टॉल की संख्या 400 से घटाकर मात्र 110 कर दी है। तुर्रा यह कि जो कलाकार सभी मेलों में दिखाई देते हैं उन्हे लोकरंग में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि यह फैसला हाल ही में संस्कृति विभाग की सचिव बनाई गई रेनू तिवारी ने किया है। रेनू तिवारी IAS ने भोपाल समाचार से हुई बातचीत में भी कहा कि वो इस बार पहले जैसा लोकरंग नहीं रखेंगी। इसके लिए वो खुद अपने स्तर पर चयन की श्रेणियां निर्धारित कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई मेला नहीं है। इधर कलाकार एवं शिल्पी नाराज हो गए हैं। वो कमलनाथ सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं उनका कहना है कि भाजपा के शासनकाल में सांस्कृतिक आयोजनों को काफी प्रोत्साहित किया गया था।
Dr. Vijayalakshmi Sadhu से हस्तक्षेप की मांग
कलाकारों का कहना है कि शुरूआत में जब नए नियमों की बात आई तो लगा कि अधिकारी मजाक कर रहे हैं। 33 साल की परंपरा थोड़े ही तोड़ी जाएगी। कलाकारों ने लोकरंग के लिए अपनी तैयारियां कर लीं। हर साल कलाकारों की संख्या में कुछ इजाफा भी हो जाता है। इस बार करीब एक दर्जन से अधिक नए शिल्पी भी लोकरंग का इंतजार कर रहे थे परंतु अब जबकि 23 जनवरी बीत गई तो कलाकारों में आक्रोश पनप रहा है। उनका कहना है कि नौकरशाह तो मनमानी करते ही रहते हैं परंतु मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ को उनकी बात समझना चाहिए।