विजय विश्वकर्मा/शहडोल। नयी सरकार बनते ही तेज बल्लेबाजी का नमूना देखने को मिल रहा है जिससे जनमानस में कहीं खुशी तो कहीं अफसोस देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से आमजनों को आशंकित करने की कहीं कोर कसर नही छोड़ी जा रही है कि आगे चलकर जनता को सरकार के फौरी राहत का परिणाम भुगतना होगा आदि।
हर्र लगे न फिटकरी रंग चोखा
नई सरकार के उक्त प्रयासों के बीच एक ऐसा कार्य है जिससे सरकार आमजनों में शीघ्र लोकप्रिय हो सकती है और मंहगाई पर कुछ हद तक अंकुश भी लगा सकती है वह भी बिना राज्य के खजाने पर कोई भार डाले मतलब हर्रा लगे न फिटकरी रंग चोखा वाला मामला हो सकता है । वह तरीका जुड़ा है परिवहन विभाग से । गत 28 मई को म.प्र. शासन परिवहन विभाग द्वारा बस का किराया 92 पैसे प्रतिकिलोमीटर से बढ़ाकर 1 रूपए प्रति किलो मीटर कर दिया गया था जिसका विवरण राजपत्र में प्रकाशित है लेकिन बस संचालको ने इस बढ़ोत्तरी का फायदा उठाते हुए मनमाने ढंग से किराया वसूलना प्रारंभ कर दिया और ठीकरा सरकार के उपर फोड़ा गया । दिन प्रतिदिन बढ़ते डीजल के दाम का बहाना बनाकर बस संचालकों ने पहले की तुलना में बेहद ज्यादा किराया वसूलना जारी रखा। अब जबकि डीजल के दाम न्यूनतम स्तर पर हैं फिर भी बढ़ा हुआ किराया ही वसूला जा रहा है।
चूंकि परिवहन विभाग किराये की पड़ताल नही करता तथा शासन द्वारा घोषित किराये से इतर वसूली पर कोई कड़ी कार्यवाही नही कर रहा है इसलिए जनता लुटने पर विवश है । अगर नई सरकार केवल कानून का पालन कराये मतलब निर्धारित घोषित किराये का नियम लागू करवा दे तो बस से आवागमन करने वालों को तत्काल उसका लाभ मिलेगा जिससे जनता में सरकार की लोकप्रियता बढ़ सकती है तथा सकारात्मक संदेश जायेगा केवल बस संचालकों को ही मायूसी होगी या सरकार को उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है । अब सरकार को यह तय करना होगा कि उसके लिए ज्यादा महत्व किसका है बस संचालकों का या फिर जनता जनार्दन का ।
वैध किराये की सूची हो सर्वविदित
अभी बस संचालक म.प्र. राजपत्र की हेडिंग के साथ कम्प्यूटर से बने फर्जी किराये को डिस्प्ले कर अवैध किराया वसूल रहे हैं जबकि परिवहन विभाग द्वारा प्रत्येक स्थान के लिए किराये की वैध सूची जारी करनी चाहिए जिससे अवैध वसूली न होने पाये । प्रत्येक बस स्टैण्ड में किराया सूची उपलब्ध होनी चाहिए साथ ही परिवहन विभाग की बेवसाईट पर सूची अपलोड होने से बस संचालक नियम एवं कानून का दुरूपयोग नही कर पायेंगे । परिवहन विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में एक टोल फ्री नम्बर अथवा ई मेल भी जारी करना चाहिए जहां गैर कानूनी ढंग से वसूली जा रहे किराये की शिकायत आम जन कर सकें । सरकार के एक छोटे से प्रयास से मध्यप्रदेश में एक बड़ा बदलाव नजर आ सकता है।