विवेक पाठक। केन्द्र सरकार ने भले ही निर्धन सवर्णों को आरक्षण घोषित कर दिया हो मगर प्रदेश की कमलनाथ सरकार का मध्यप्रदेश के सवर्ण आवेदकों को आरक्षण देने का कोई इरादा नहीं दिख रहा। व्यापमं ने बिना नए नियमों के शिक्षक पात्रता परीक्षा की तिथि 1 फरवरी से घोषित कर दी है। इसको लेकर सोशल मीडिया में विरोध शुरु हो गया है।
मध्यप्रदेश के युवाओं का कहना है कि मप्र में शिक्षा विभाग 2011 के बाद हजारों पदों की भर्ती निकाल रहा है मगर ये परीक्षा 9 माह पहले बने नियमों से क्यों आयोजित हो रही है। वर्तमान समय में देश में सवर्ण आरक्षण केन्द्र सरकार ने कांग्रेस व अन्य विपक्षियों के सहयोग से लोकसभा व राज्यसभा में पास कराया है फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सवर्णों को 40 हजार पदों की भर्ती परीक्षा में आरक्षण क्यों नहीं देना चाह रही है।
सवर्ण आवेदकों का कहना है कि कांग्रेस ने सवर्ण समाज के वोट लेकर मध्यप्रदेश में उनके हितों के साथ छल किया है। कांग्रेस सरकार ने 70 फीसदी पद मध्यप्रदेश के मूल निवासियों के लिए आरक्षित करने का वादा किया था मगर 9 माह पुराने नियमों में ऐसा कोई जिक्र नहींं है आखिर कांग्रेस सरकार कथनी और करनी में अंतर करके मप्र के स्थानीय निवासी व केन्द्र से मिले आरक्षण के हकदार सवर्णों के साथ छलवा करने पर क्यों उतारु है।