LIVE-IN-RELATION में शारीरिक संबंध रेप नहीं: सुप्रीम कोर्ट | NATIONAL NEWS

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नई दिल्ली। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स के लिए Supreme court ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि, लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए यदि कपल के बीच सहमति से Physical relation बनते हैं और बाद में पुरुष किन्हीं विशेष परिस्थितियों (ऐसी परिस्थितियां जो उसके कंट्रोल में न हों) के चलते महिला से शादी नहीं कर पाए तो पुरुष के ऊपर रेप का केस नहीं लगाया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र की एक महिला नर्स द्वारा की गई शिकायत को रद्द करते हुए की। महिला नर्स एक डॉक्टर के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में थी। कोर्ट ने कहा कि रेप और सहमति से सेक्स में स्पष्ट अंतर है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों की बहुत गंभीरता से जांच करने की जरूरत है।

जिससे पता चल सके कि पुरुष सच में पीड़िता से शादी करना चाहता था या उसने सिर्फ अपनी वासना को शांत करने के लिए उसका इस्तेमाल किया। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर अभियुक्त ने अभियोजन पक्ष को यौन कार्य करने के लिए प्रेरित करने के एकमात्र इरादे के साथ वादा नहीं किया है तो यह बलात्कार के समान नहीं होगा।

क्या है मामला

शिकायतकर्ता महिला महाराष्ट्र में रहती है और पेशे से नर्स है। उसके दो बच्चे हैं। 1997 में पति की डेथ हो चुकी है। वे अपने लिव-इन पार्टनर के साथ असिस्टेंट नर्स के तौर पर काम कर रही थी। वहीं आरोपी डॉ सोनार गवर्नमेंट डॉक्टर हैं। महिला को सन् 2000 में डॉ सोनार के भाई से पता चला कि वे किसी और महिला से शादी कर चुके हैं। इसके बाद उसने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। FIR आईपीसी के सेक्शन 376(2)(b), 420 और 34 के तहत दर्ज की गई। साथ ही SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(x) लगाई गईं।

इन्वेस्टिगेशन के बाद पुलिस ने 2001 में अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी। इसके बाद आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और FIR रद्द करने की मांग की। हाईकोर्ट ने जुलाई 2018 में आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और यहां उसकी जीत हुई।

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