मंदसौर। यहां कांग्रेस की मीटिंग के दौरान मीनाक्षी नटराजन और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के बीच जमकर विवाद हुआ। भोपाल में विधानसभा शुरू होने से पहले यहां हुआ विवाद देश भर की मीडिया में छाया हुआ है। कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आई है। आइए पढ़ते हैं टंटे की जड़ क्या थी। क्या दोनों गुटों के बीच विवाद हुआ या दोनों के समर्थकों के बीच।
विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार मंदसौर जिले के तमाम कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई गयी थी, जिसको पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन सम्बोधित करने वाली थीं, लेकिन बैठक शुरू होते ही बवाल हो गया। यह बवाल उस समय हुआ जब सिंधिया समर्थक और मल्हारगढ़ विधानसभा से चुनाव हारे कांग्रेस प्रत्याशी परशुराम सिसौदिया ने इस बात पर एतराज किया कि बैठक में मल्हारगढ़ के कांग्रेस नेता और नटराजन समर्थक श्यामलाल जोकचंद को क्यों आने दिया।
दरअसल, जोकचंद पूर्व में दो बार चुनाव हार चुके हैं और तीसरी बार भी दावेदारी कर रहे थे लेकिन टिकट सिंधिया समर्थक परशुराम सिसौदिया को मिला और वे चुनाव हार गए। उनका आरोप है कि जोकचंद ने भितराघात किया और बीजेपी को वोट करवाया इसलिए उन्हें पार्टी से निष्किासित किया जाए। शुक्रवार को जब जोकचंद बैठक में पहुंचे तो परशुराम समर्थकों ने आपा खो दिया और जोकचंद के खिलाफ आक्रोशित हो गए। इसी दौरान कहा सुनी के बीच परशुराम समर्थक और जोकचंद समर्थक भिड़ गए और इनमें जमकर लात घूंसे चले।
इस पूरे मामले में परशुराम सिसौदिया से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि जोकचंद के खिलाफ भितराघात के पर्याप्त सबूत हैं, हमारे पास ऑडियो, वीडियो और सीडी है। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार जगदीश देवड़ा को वोट दिलवाए। हमारी मांग है कि उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्काषित किया जाए। ऐसे में यदि वे पार्टी की बैठक में आएंगे तो गुस्सा तो भड़केगा। वहीं यह पूरा हंगामा देख रहीं पूर्व सांसद नटराजन ने कहा समझाइश देंगे। यह बातें पार्टी फोरम पर करने की है, मैं इस पर सार्वजनिक रूप से कोई टिपण्णी नहीं करूंगी।