'मर्द को दर्द नहीं होता।’ BOLLYWOOD फिल्म ‘मर्द’ का यह डायलॉग काफी मशहूर है। लेकिन वास्तविक दुनिया की कहानी इससे बिल्कुल जुदा है। एक हालिया शोध के अनुसार मर्द को भी दर्द होता है और दुख की घड़ी में वह महिलाओं से कहीं ज्यादा दर्द महसूस करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिला और पुरुष दर्द को अलग-अलग तरीके से महसूस करते हैं। अध्ययन के अनुसार दर्द महसूस करने के मामले में पुरुष अधिक संवेदनशील होते हैं।
दर्द को याद रखते हैं पुरुष / Men remember pain :
अध्ययन के अनुसार पुरुष दर्द को सिर्फ महसूस ही नहीं करते, बल्कि वह दर्द भरे अनुभवों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा स्पष्ट तरीके से याद भी रखते हैं। एक ही तरह का दर्द बार-बार होने पर पुरुष अधिक तनाव भी ले लेते हैं। वहीं दर्द होने पर महिलाएं उदासीन रवैया अपनाती हैं। पिछले दर्द के अनुभवों का असर भी उनके कार्यों पर नहीं पड़ता।
चूहों पर हुआ अध्ययन / Study on mice :
यह अध्ययन पहले चूहों पर किया गया। इसके नतीजों की पुष्टि करने के लिए बाद में इसे इंसानों पर किया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि गंभीर दर्द के उपचार में यह मददगार साबित हो सकता है। अध्ययन से जुड़े एवं मैकगिल विश्वविद्यालय के पेन स्टडीज के प्रोफेसर जैफरी मोगिल का कहना है, ‘चूहों में दर्द की अतिसंवेदनशीलता को देखने के लिए हमने प्रयोग किया। मेल और फीमेल चूहों में चौंकाने वाले परिणाम प्राप्त हुए। इसके बाद हमने अध्ययन का विस्तार करते हुए इंसानों पर करने का निर्णय लिया और नतीजे एक समान रहे। यह देखकर हम हैरान रह गए कि चूहों की तरह ही दर्द को लेकर महिलाओं और पुरुषों में भी समान अंतर देखा गया।’ अध्ययन में 18 से 40 वर्ष की आयु के 41 पुरुष और 38 महिलाओं ने हिस्सा लिया। शामिल किया गया। अध्ययन के नतीजे करंट बायलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
असल में दर्द है क्या / Actually what is the pain
अलग-अलग किस्म के दर्द के लिए स्वास्थ्य पेशेवर अलग परिभाषा तय करते हैं। छोटी अवधि का दर्द ‘अक्यूट पेन’ कहा जाता है। जैसे की पैर की मोच आदि। दीर्घकालिक दर्द को ‘पर्सिस्टेंट या क्रोनिक पेन’ कहा जाता है, जैसे- गठिया और कमर दर्द। दर्द होने और फिर जल्द ठीक हो जाने वाले दर्द को ‘रिकरंट या इंटरमिटेंट पेन’ कहा जाता है। दांत का दर्द इसी तरह का होता है। दर्द के संकेत मस्तिष्क की यात्रा करने के लिए रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंतुओं का इस्तेमाल करते हैं। दर्द कभी भी सिर्फ मस्तिष्क में या सिर्फ शरीर में नहीं होता। यह एक जटिल मिश्रण है, जिसमें दोनों शामिल होते हैं।