भोपाल। नेता प्रतिपक्ष की रेस जीतने के लिए दिल्ली दौड़े शिवराज सिंह चौहान लौट आए हैं। इस बार उनके हाथ निराशा लगी है। लौटकर आए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए मेरा नाम नहीं चल रहा है। पार्टी ही तय करेगी कि मध्य प्रदेश विधानसभा में कौन नेता प्रतिपक्ष होगा। बता दें कि इससे पहले देश के सभी मीडिया संस्थान नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवराज सिंह का नाम बता रहे थे और शिवराज सिंह ने इसका खंडन नहीं किया था।
टीवी चैनल न्यूज18 से बातचीत में उन्होंने कहा कि, 'मैंने पहले ही कहा, मुझे किसी भी पद की आवश्यकता नहीं है, मैं ऐसे नेता रहूंगा'। बता दें कि मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे चल रहा था। इसी बीच बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को नेता प्रतिपक्ष चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीजेपी विधायक दल की बैठक छह जनवरी को भोपाल में होगी। संभव है कि इसी दिन नेता प्रतिपक्ष की घोषणा हो सकती है।
प्रदेश भाजपा को कब्ज में रखना चाहते थे शिवराज सिंह
सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान चुनाव हार जाने के बाद मध्यप्रदेश की भाजपा को अपने कब्जे में रखना चाहते थे। नेता प्रतिपक्ष बनकर वो विधायक दल का नेतृत्व करते और आधिकारिक तौर पर भाजपा के नेता बने रहते। वो भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बदलवाने के मूड में भी नहीं थे। जबकि विधायकों का एक दल संघ के प्रचारकों तक अपनी बात पहुंचा चुका है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतरे शिवराज सिंह फिलहाल विपक्ष के नेता की भूमिका नहीं निभा पाएंगे। वो खुद हजारों सवालों की जद में हैं, सरकार पर कैसे सवाल उठा पाएंगे।