भोपाल। बच्चों में होने वाली बीमारी मीजल्स-रुबेला को जड़ से मिटाने के लिए 15 जनवरी से अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके तहत 45 दिन में भोपाल जिले के साढ़े सात लाख समेत प्रदेश के करीब 2.32 करोड़ बच्चों को को यह टीका लगाया जाएगा। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला के मुताबिक मीजल्स-रुबेला 95 प्रतिशत नौ माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में ही होती है।
मीजल्स-रुबेला टीका क्या निशुल्क रहेगा?
यह बिल्कुल निशुल्क लगेगा। अभियान के दौरान 9 माह से 15 वर्ष उम्र तक के सभी बच्चों को यह टीका लगवाना अनिवार्य है।
मीजल्स-रुबेला टीका पहले लग चुका है, क्या दूसरी बार भी लगवाना है
हां, तब भी यह वैक्सीन बच्चे को लगवाना जरूरी है। यह कम्युनिटी की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जरूरी एक्स्ट्रा डोज है।
मीजल्स-रुबेला टीका से क्या बच्चे बीमार हो जाते हैं
वैक्सीन लगने के बाद कुछ बच्चों को हल्का बुखार और दर्द की शिकायत हो सकती है। इसके लिए टीकाकरण के बाद जरूरी दवा भी दी जाएगी। हालांकि, यह अपने आप ही ठीक हो जाता है।
मीजल्स-रुबेला टीका कहां लगाए जाएंगे
कोई बच्चा टीकाकरण से छूटे नहीं इसके लिए स्कूल और आंगनबाड़ी में टीमें बैठेंगी। एक टीम में चार लोग रहेंगे। टीम का नोडल स्कूल टीचर होगा। आशा कार्यकर्ता बच्चे की उंगली पर निशान लगाएगी।
रुबेला बीमारी और उसके लक्षण
यह संक्रामक रोग है। इसके लक्षण तेज और लंबे समय तक बुखार, शरीर में लाल दाने, चकते होना, जोड़ों में सूजन और दर्द, सर दर्द, आंखों में सूजन, भूख ना लगना, थकान व चक्कर आना हैं।
मीजल्स बीमारी और उसके लक्षण
इसे छोटी माता भी कहा जाता है। यह अत्यधिक संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है। इसमें निमोनिया, डायरिया और दिमागी बुखार होने की संभावना बढ़ जाती है। चेहरे पर गुलाबी-लाल चकते, तेज बुखार, खांसी, नाक बहना और आंखें लाल होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।