भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने मीसाबंदी पेंशन बंद करने का ऐलान किया था। मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट में याचिका फाइल की तो सरकार ने लिखित आदेश जारी कर दिए। भाजपा इसे अपनी जीत मान रही है परंतु आदेश की भाषा कुछ और ही कह रही है। समीक्षक यह जांचने की कोशिश कर रह हैं कि यह कमलनाथ सरकार का यू-टर्न है या नए खुलासे की तैयारी।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमलनाथ सरकार के आदेश की कॉपी ट्वीट करते हुए यू टर्न लिखा है। मीसाबंदियों ने सोशल मीडिया पर इसे अपनी जीत करार दिया है। लेकिन आदेश की भाषा कहती है कि यह यू-टर्न नहीं है, बल्कि इस आदेश के माध्यम से नए खुलासे की प्रक्रिया शुरू होगी। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं आदेश में क्या लिखा है:
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से 15 जनवरी को देर शाम जारी किए गए आदेश में समस्त आयुक्तों और और कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है। आदेश में कहा गया है कि लोकतंत्र सेनानियों के भौतिक सत्यापन आवश्यक्ता है। राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि लोकतंत्र सेनानी या दिवंगत लोकतंत्र के आश्रित का भौतिक सत्यापन की कार्यवाही स्थल पर जाकर कराई जाए। उनके बारे में स्थानीय लोगों से पूछताछ के बाद लोकतंत्र सेनानियों को फिर से निधि दी जाए।
अब क्या होगा
आदेश के विषय में लिखा है 'लोकतंत्र सेनानियों का सत्यापन एवं उन्हे दी जाने वाली सम्मान निधि भुगतान प्रक्रिया का पुनर्निधारण' यानी अब सरकारी कर्मचारी पेंशन प्राप्त करने वाले मीसाबंदियों के घर जाएंगे और निर्धारित प्रश्नावली के तहत सवाल करेंगे। फिर पड़ौसियों के पास जाएंगे और मीसाबंदी नेताओं के बारे में पूछताछ करेंगे। यह पूछताछ ही मीसाबंदी नेताओं को फिर से चर्चाओं में ले आएगी। बड़ी बात नहीं कि पूछताछ के दौरान पड़ौसियों के जवाब मीडिया की सुर्खियां बनें। इस तरह कांग्रेस सरकारी मशीनरी का उपयोग करके पोल खोल अभियान चलाएगी।
किसे मिलती है मीसाबंदी पेंशन और क्यों रोकी गई
सन 1977 में आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सिंह सरकार 25 हजार हर महीने पेंशन के तौर पर देती थी। इस पर प्रतिवर्ष करीब 70 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे। सरकार ने पेंशन वितरण रोके जाने का प्रमुख कारण महालेखाकार की उस रिपोर्ट को बताया है जिसमें महालेखाकार ने पिछले वित्तीय वर्षों में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि में भुगतान को बजट प्रावधान से अधिक का बताया था।
पेंशन के नियम भी बदल सकती है सरकार
शिवराज सिंह सरकार ने मीसाबंदी पेंशन के नियम कई बार बदले। चुनाव आते आते तक आदेश जारी किए कि मीसा एक्ट के तहत 1 दिन भी जेल में रहे व्यक्ति को पेंशन दी जाएगी। आरोप है कि एक वरिष्ठ नेता को फायदा पहुंचाने के लिए नियम बदला गया। अब कमलनाथ सरकार भी नियम बदल सकती है। ऐसा हुआ तो मीसाबंदी पेंशन के पात्र लोगों की संख्या काफी कम हो जाएगी। पेंशन की राशि भी कम की जा सकती है। मीसाबंदी नेता पेंशन पर अधिकार जता सकते हैं परंतु वो 25 हजार होगी या 05 हजार, ये कैसे निर्धारित करवाएंगे।