भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा में शिवराज सिंह चौहान की नहीं चली। उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा के नेताओं ने विधानसभा में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया और आदिवासी नेता विजय शाह को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतार दिया। विजय शाह ने अपना नामांकन भर दिया है।
स्पीकर पद के लिए विजय शाह प्रमुख सचिव के सामने नामांकन भरा है। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा सहित कई बीजेपी के नेता मौजूद थे। अब शाम को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें नेता प्रतिपक्ष का चयन होगा। बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष के लिए दिल्ली से नरोत्तम मिश्र का नाम आया है, लेकिन गोपाल भार्गव भी इस दौड़ में शामिल हैं।
अकेले पड़ गए शिवराज सिंह चौहान
सीएम कमलनाथ ने अपने 114 विधायकों, निदर्लीय उम्मीदवारों, सपा- बसपा के साथ एकजुटता दिखा दी है। उनकी डिनर पार्टी में कांग्रेस के केपी सिंह को छोड़कर सभी 120 विधायक उपस्थित थे। ऐसी हालत में भाजपा कमजोर दिखाई दे रही है बावजूद इसके वो मैदान में है। इस पूरे घटनाक्रम में एक बात साफ हो गई है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपनी ही पार्टी में अलग–थलग दिखाई दे रहे हैं। रविवार को देर रात तक शिवराज सिंह के घर पर हुई कई दौर की बैठकों में यह फैसला नहीं हो पाया था। शिवराज की राय थी कि स्पीकर का चुनाव नहीं लड़ा जाए लेकिन भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा की सक्रियता और प्रदेश संगठन की रायशुमारी के बाद ये फैसला हो गया।
संकट मोचक बने सिंधिया
कांग्रेस में कुछ पेंच फंसा था, ज्योतिरादित्य सिंधिया को रविवार शाम अचानक भोपाल बुलाया गया। उसके बाद सबकुछ क्लीयर हो गया। सिंधिया को विशेष प्लेन से देर शाम शिवपुरी से बुलवाया गया। सिंधिया ने मीटिंग के बाद खुलकर भाजपा पर आरोप लगाए कि उसके पास न तो हॉर्स है न बिजनेस। दरअसल सरकार बनने के बाद कांग्रेस में असंतोष के स्वर खुलकर सामने आ रहे हैं। सपा- बसपा ने भी मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज़गी जताई है। यही वजह है कि भाजपा कुछ हद तक उम्मीद पाल बैठी है।