भोपाल। मध्य प्रदेश में कई वर्षों से दूसरे विभागों में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों के उनके विभागों में पहुंचाया जा रहा है। लंबे समय से सहायक प्राध्यापक प्रदेश के विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे थे। ऐसे में कांग्रेस सरकार ने सहायक प्राध्यापकों को अपने मूल काम में वापस भेज दिया है।
प्रदेश में विश्वविद्यालय और कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों की भारी कमी है। वहीं दूसरी तरफ आधे से ज्यादा सहायक प्राध्यापक दूसरे विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कमलनाथ सरकार ने एक महीने के भीतर प्रदेश के विभिन्न विभागों में जमे 47 सहायक प्राध्यापकों को उनके मूल विभाग में भेजने के आदेश जारी कर दिए हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने तत्काल सहायक प्राध्यापकों को उपस्थित होने के निर्देश जारी किए हैं।
सरकार इसके बाद अन्य विभागों में पदस्थ और सहायक प्राध्यापकों को मूल विभाग में भेजने की तैयारी कर रही है। मामले में कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा का कहना है कि जो व्यक्ति जिस विभाग का है उसी विभाग में वापस भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का जंग खाया हुआ सिस्टम बदला जा रहा है और सिस्टम को साफ करने का काम शुरू हो चुका है।
प्रतिनियुक्तियां निरस्त कर मूल विभाग में भेजने के आदेश पहले भी होते रहे हैं, लेकिन अब नई सरकार ने सहायक प्राध्यापकों की उनके विभाग में वापसी करा दी है। भाजपा का कहना है कि प्रतिनियुक्तियां निरस्त की गई हैं, लेकिन इनका समायोजन उचित तरीके से किया जाए, ताकि केवल शहरी इलाकों में ही सहायक प्राध्यापक ना रहे, बलेकि ग्रामीण और कस्बो में भी अपनी सेवाएं देने के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि संतुलन बनाने का काम उच्च शिक्षा विभाग को ही करना है।