भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के अघोषित लेकिन स्वीकार्य संगठन महामंत्री, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और चुनाव हारे शिवराज सिंह चौहान लेकिन पिछले 1 सप्ताह से सुर्खियों में बाबूलाल गौर बने हुए हैं। 89 साल के बाबूलाल गौर राजनीति की कलाबाजियां दिखा रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि राजनीति में घोड़ा बूढ़ा नहीं होता और प्यार की तरह राजनीति में भी उम्र का बंधन रखना गलत होगा।
कौन है बाबूलाल गौर
बाबूलाल गौर भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वो प्रतापगढ उत्तरप्रदेश के मूल निवासी हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मजदूरी करने आए थे। फिर मजदूर नेता बन गए। भाजपा का गठन हुआ तो भाजपा से जुड़ गए। 74 में भाजपा के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा और जीते। तब से 2013 तक लगातार हर चुनाव जीतते आ रहे हैं। मंत्री बने, मुख्यमंत्री भी बने फिर मंत्री बन गए। फार्मूला 75 के नाम पर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह ने उनसे इस्तीफा ले लिया था। 2018 में उन्हे टिकट नहीं दिया गया। अब वो विधायक भी नहीं हैं।
राजनीति की कलाबाजियां क्या हैं
- 2018 के चुनाव से पूर्व टिकट वितरण के दौरान बाबूलाल गौर ने कांग्रेस नेताओं की तारीफ की, बगावत के संकेत दिए और अपनी जगह अपनी बहू कृष्णा गौर को गोविंदपुरा सीट से टिकट दिलवा दिया।
- 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बाबूलाल गौर ने लोकसभा के टिकट पर फोकस कर लिया है।
- बाबूलाल गौर भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं परंतु भाजपा ने उन्हे विधानसभा का टिकट नहीं दिया फिर लोकसभा का कैसे मिलेगा।
- बाबूलाल गौर ने दिग्विजय सिंह को घर बुलाया। खाना खिलाया और फिर मीडिया को बताया कि दिग्विजय सिंह ने उन्हे कांग्रेस से लोकसभा टिकट का प्रस्ताव दिया है।
- दिग्विजय सिंह ने इस बयान का खंडन नहीं किया जिससे भाजपा में खलबली मच गई।
- फिर शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बयान दिया। कहा कि भाजपा में वरिष्ठ नेताओं को साजिश के तहत ठिकाने लगाया जा रहा है।
- भाजपा के भाग्यविधाताओं को विश्वास दिला दिया कि बाबूलाल गौर बागी हो गया है।
- भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रभारी स्वतंत्र देव खुद बाबूलाल गौर के घर मिलने पहुंचे। क्या बातचीत हुई पता नहीं, लेकिन बाहर निकलकर स्वतंत्र देव ने कहा कि लोकसभा टिकट का फैसला संगठन स्तर पर होगा।
- बाबूलाल गौर ने फिर एक चाल चली। इस बार कांग्रेस सरकार के मंत्री जीतू पटवारी को घर बुलाया। मीडिया साथ रहे यह प्रबंध किए। घर में कमलनाथ का फोटो लगाया और मीडिया के सामने जीतू पटवारी को वह फोटो दिखाते हुए कहा 'ये हमारे नेता हैं।'
- भाजपा को भरोसा हो गया बाबूलाल गौर बगावत करेंगे। कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ेंगे।
- इसके बाद क्या डील हुई पता नहीं लेकिन अब बाबूलाल गौर की तरफ से खबर आई है कि उन्होंने कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकरा दिया है।
लव्वोलुआब क्या
बाबूलाल गौर को भाजपा की ओर से लोकसभा का टिकट मिले या ना मिले लेकिन उन्होंने यह जरूर साबित कर दिया कि वो ना तो लालकृष्ण आडवणी की परंपरा के नेता हैं और ना ही यशवंत सिन्हा की परंपरा के। वो बाबूलाल गौर हैं, जिसे राजनीति करनी आती है। 89 की उम्र में भी पार्टी को ठीक करना और अपने हित में उपयोग करना आता है।