भोपाल। सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी/ कर्मचारी संस्था (सपाक्स) के प्रतिनिधि मंडल ने सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस आर सिन्हों से सौजन्य भेंट की। श्री सिन्हों उस 3 सदस्यीय राष्ट्रीय आर्थिक कमजोर वर्ग आयोग के अध्यक्ष थे जिसकी वर्ष 2010 में की गई अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने 124 वें संशोधन विधेयक से अनारक्षित वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण का प्रावधान कर दिया है।
श्री सिन्हों ने बताया कि जिस तरह से आयोग की अनुशंसा पर यह आरक्षण की व्यवस्था सरकार ने की है उसकी कल्पना उन्हें भी नहीं थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मदद करने के लिए सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और नौकरी के लिए कल्याणकारी उपाय करने चाहिए। इस हेतु आयोग ने गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले तबके को लक्षित करने का सुझाव दिया था।
जिस वक्त यह रिपोर्ट तैयार की गई थी तब संवैधानिक व्यवस्था अनुसार आर्थिक कमजोरी को आरक्षण के लिए पिछड़ेपन में परिभाषित नहीं किया जा सकता था लेकिन अब संवैधानिक संशोधन के बाद आर्थिक कमजोरी को पिछड़ेपन का प्रतीक भले ही मान लिया जावे, इसकी पुष्टि न्यायायिक समीक्षा के बाद ही हो पाएगी।
सपाक्सा प्रतिनिधि मंडल से चर्चा में श्री सिन्हों ने आयोग की रिपोर्ट पर सरकार की कार्यवाही का स्वागत करते हुए यह आशंका भी व्यक्त की कि गरीबी के मापदंडों का निर्धारण यदि सरकारों द्वारा सही ढंग से नहीं किया गया तो वास्तविक कमजोर इसके लाभ से वंचित ही रहेंगे।
श्री सिन्हों ने सपाक्स द्वारा किए जा रहे सामाजिक आंदोलन की भी सराहना की तथा अपेक्षा की कि संस्था अपनी गतिविधियों से सामाजिक समरसता लाने में सफल होगी। श्री सिन्हों सपाक्स के सम्मेलनों में भी पूर्व में शामिल हो चुके हैं।