भोपाल। स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों का वार्षिक इक्रीमेंट लगाया गया है। यह वेतनवृद्धि इतनी कम है कि बवाल मच गया है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हे नियमित कर्मचारियों के समान नियमानुसार वेतनवृद्धि दी जानी चाहिए परंतु अप्रैसल के नाम पर नौकरशाही ना केवल मनमानी कर रही है बल्कि उनका शोषण किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले संविदा कर्मचारी आंदोलित हो उठे हैं। उनका कहना है कि मैदान में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतनवृद्धि के नाम पर भी तरसाया जा रहा है जबकि रसूखदार अधिकारियों के नाक के नीचे काम करने वाले कई सलाहकार 14 साल में 10000-15000 रु प्रतिमाह से 65000 रु प्रतिमाह तक पंहुच गए। फील्ड पर और जिलो पर तैनात अमले को हर साल परीक्षा के नाम पर 65 से कम अंक देकर नौकरी से निकालने और वेतन वृद्धि ना दिए जाने का डर दिखा कर शारीरिक/आर्थिक शोषण का रास्ता खोला जाता है।
संविदा कर्मचारियों ने वेतनवृद्धि की लिस्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और संचालकों के चहेते सलाहकार अप्रैसल में 100% पास होकर मोटी तनख्वा पर पंहुच गए और अंतिम पंक्ति का संविदा जहां से चला था वहीं पर है। 2018-19 में दी जाने वाली वेतनवृद्धि में 70% कर्मचारी अभी तक वेतनवृद्धि से वंचित है। जबकि राज्य कार्यालय के सलाहकारों ने प्रमुख सचिव को और संचालको को रिझा कर वेतनवृद्धि हासिल कर ली है। कर्मचारी भड़क गए हैं। वो नई सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।