भोपाल। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल द्वारा आयोजित की गई ग्रुप-4 भर्ती परीक्षा पर सवाल उठाए गए हैं। उम्मीदवारों ने सीएम कमलनाथ से शिकायत की तो जांच के आदेश हुए परंतु शिकायतकर्ताओं का कहना है कि हमारी शिकायत पर तो जांच हुई ही नहीं। जांच के बिन्दु कुछ और ही थे।
शिकायतकर्ताओं में से एक विपेंन्द्र सिंह यादव ने बताया कि पीईबी द्वारा जो जांच की गई गई है वह और किसी बिंदु पर जांच की गई जबकि आवेदकों के बिन्दुओं को दरकिनार करते हुए पीईबी ने यह जांच अपने तरीके से करवाई जिससे बहुत बड़ा घोटाला उजागर होने से बच गया आवेदकों ने अपने आवेदन में निम्न बिंदुओं पर जांच करने के लिए कहा था वे बिंदु निम्न प्रकार हैं।
(1) जो चयनित टॉप 10 उम्मीदवार के रूप में चयनित हुए हैं उनकी जांच इस प्रकार की जाए कि उनमें सभी उम्मीदवार की परीक्षा जिस तारीख को थी उनके सभी के सीसीटीवी फुटेेेज मंगवाए जाएं।
(2) जो भी टॉप 10 में चयनित हुए हैं उनमें से 6-8 चयनित अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनके पिछली परीक्षाओं की जानकारी की गई तो उनके 40 से 50 प्रतिशत अंक ही अर्जित कर पाए थे और इस परीक्षा में वो टॉप 10 में चयनित हैं ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई 2 से 3 महीनेे में टॉप 10 में कैसे चयनित हो सकता है।
(3) जो भी टॉप टेेेन अभ्यर्थी है उनमें से ज्यादातर छात्र एक ही कॉलेज से चयनित हुए हैं जिससे यह परिणाम घोटाले की ओर संकेत करता है हो सकता है कि कॉलेज से सेटिंग करके इन छात्रों को अपने तरीके से परीक्षा कराई गई हो।
(4) पीईबी ग्रुप 4 की जांच पीईबी के अधिकारियों से न कराकर किसी उच्चस्तरीय कमेटी से करवाई जाए। जबकि पीईबी ने मात्र 15 सितबर के सीसीटीवी फुटेज निकलवाकर जांच कराई है जिससे बहुत बड़ा घाेटाला उजागर होने से बच गया।
(5) चलो मान लिया, वो उम्मीदवार पहले भोंदू थे लेकिन अब टेलेंटेड हो गए हैं तो जांच के दौरान एक बार फिर उनका ट्रायल टेस्ट करवाकर देख लें। जो टेलेंट डवलप हो गया है वो परीक्षा के साथ एक्सपायर तो नहीं हुआ होगा। टॉपर्स की मीडिया ट्रायल करवा लें, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
(6) पीईबी के अधिकारियों ने जिस तरह से जांच की है, एक बात तो प्रमाणित हो गई कि घोटाला परीक्षा केंद्र स्तर पर नहीं हुआ। इसमें पीईबी के अधिकारी भी शामिल हैं। इसलिए उन्होंने पूरा मामला ही खत्म करने की प्लानिंग कर डाली। यदि सीएम कमलनाथ के आदेश के बाद भी जांच सही नहीं हुई तो फिर हाईकोर्ट की निगरानी में जांच के लिए याचिका लगाई जाएगी।
पीईबी ने अपने तर्क में यह कहा है कि पीईबी ने 12 दिसंबर 2018 को ग्रुप-4 के संयुक्त भर्ती परीक्षा 2018 के रिजल्ट घोषित किए थे। पीईबी ने इंटरनल जांच कर रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय सौंप दी है। जांच रिपोर्ट के अनुसार टॉप टेन में शामिल एक भी उम्मीदवार ऐसा नहीं मिला है जिसकी परीक्षा 15 सितंबर को विशेष कैटेगरी में कराई गई हो। रिपोर्ट के साथ उम्मीदवारों से संबंधित डाक्यूमेंट्री सबूत समेत सीसीटीवी फुटेज भेजे गए हैं। कुल मिलाकर पीईबी की जांच में शिकायत को निराधार और परिणामों को सही बताया गया है।