मप्र व्यापमं भोपाल जिसे अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल कहते हैं का एक ओर करिश्मा प्रकाश में आया है। सब इंजीनियर समूह 3 वर्ष 2018 का रिजल्ट 11 जनवरी 2019 को प्रकाशित किया गया। व्यापमं ने अपनी वेबसाइट में डाले गए इस रिजल्ट के विषय में खुद ये बताया है उनके द्वारा इस परीक्षा में लगभग 30 से 40% प्रश्न सिलेबस के बाहर से दिए गए थे, और उनके मॉडल आंसर बनाने वाले एक्सपर्टो ने गलत उत्तरों वाली आंसर शीट बनाई।
बरोजगार आवेदक यदि एक गलती करे तो उसका फार्म रिजेक्ट, ओर ये हजार गलती करें सब माफ्इ ? से किसी भी कीमत में बेरोजगारों के साथ न्याय नही माना जा सकता।
प्रश्न सिलेबस के बाहर के हों, तो इसमें बेरोजगारों की क्या गलती, क्या विशेषज्ञ को सिलेबस भी नही पता, और नही पता तो प्रश्नपत्र कैसे बना लिया, अब इसका खमियाजा बेरोजगार भोगें।
एक ओर मजे की बात ये की आंसरशीट जो पूर्व में प्रकाशित की गई उसमे भी बहुत सारे उत्तर गलत हैं।
ओर हद तो तब हो गई कि जब मप्र के जाने माने साहित्यकार श्री हरिशंकर परसाई को जो एक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध व्यंगकार है, उनको आंसरशीट बनाने वालों ने एक कवि बता दिया।
समझ नही आता कि ये विशेषज्ञों टीम है या घोटालेबाजो की, सम्पूर्ण मामला अदालत के दरवाजे खखटाने को आतुर ओर व्याकुल है, व्यापमं ये ना समझे कि वे सहज ही प्रदेश के भोले भाले बेरोजगारों तथा नई सरकार के सम्मानीय नेताओं को मूर्ख बना सकेगा। प्रदेश का युवा बेरोजगार प्रदेश की सरकार के साथ खड़ा है, जो घोटालों को उजागर करने में सक्षम है ।
निश्चित रूप से सिलेबस मामला, गलत आंसर शीट मामला, नॉर्मलाइजेशन मामला, एक बहुत बड़े घोटाला करने के हथकंडे हैं। जिसके द्वारा सभी को मूर्ख बनाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।
सर्वप्रिय मुख्यमंत्री महोदय जी से बेरोजगार सब इंजीनियर यूनियन विनम्र प्रार्थना करता है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराते हुए बहुत दिनों से व्यापमं घोटाला का दंश झेल रहे मप्र को घोटालामुक्त मप्र बनाने का प्रयास करें, जिससे मप्र का इतिहास और अधिक कलंकित ना हो।
दोषियो को ऐसा सबक सिखाया जाय कि कोई दोबारा इस प्रकार के गलत काम करने की हिम्मत न कर सके, यदि पुनः परीक्षा आयोजित करने पड़े तो इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
पवन जैन, उम्मीदवार