MPPSC पास करने के बाद भी हमें नेताओं के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है | Khula Khat @ CM Kamal Nath

Bhopal Samachar
मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के वर्षों से आधे से भी अधिक खाली पड़े पदों पर नियुक्ति हेतु bjp सरकार ने 2014 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। इससे पूर्व मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों के पद 1992 में भरे गए थे। 2014 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने भर्ती विज्ञापन जारी किया परंतु कुछ निश्चित लोगों द्वारा जो इस परीक्षा के मापदंडों के अनुसार योग्य नहीं थे, के द्वारा इसका विरोध किया गया जिसमें पीएचडी की नियम एवं शर्तो को आधार बनाया गया परिणास्वरूप यह भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। 

उल्लेखनीय है कि ये थोड़े से विरोधी लोग अपने आप को बिना योग्यता के भी (जो यूजीसी द्वारा तय की गई थी) अतिथि व्यवस्था में बनाये रखना चाहते थे। ये कुछ निश्चित लोग अपने को अतिथि व्यवस्था में इसलिए बनाये रखना चाहते थे क्योंकि ना तो यह यूजीसी के मापदंडों के अनुसार पढ़ाने के योग्य है और ना ही इन्हें नियमित किया जा सकता है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में किसी भी राजपत्रित अधिकारी की पोस्ट को भरने के लिए खुली प्रतियोगिता को अनिवार्य बताया है।

2016 में कुछ संशोधनों के साथ फिर विज्ञापन जारी हुआ परंतु इस बार set (राज्य पात्रता परीक्षा) को लेकर मुद्दा बनाया गया जिसमें फिर सरकार ने पहले राज्य पात्रता परीक्षा 2017 कराने के निर्णय लिया जो सफलतापूर्वक आयोजित की गई। इस बीच मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने फरवरी 2017 में एक निर्णय में सरकार को आदेश दिया जिसमें उच्च शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए नियमित सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पूर्ण कर जून 2018 तक नियुक्ति के आदेश दिए गए।

दिसम्बर 2017 में 2016 का भर्ती विज्ञापन निरस्त कर एक बार फिर नया विज्ञापन जारी किया गया। इसमें अतिथि विद्वानों को 20 नंबर अतिरिक्त अंक दिए गए एवं आयु सीमा में असीमित छूट दी गयी जिसकी वजह से एवं योग्य अतिथि विद्वानों की मेहनत से कुल हुए चयन में से 43% अतिथि विद्वानों का चयन हुआ और उन्होंने कई विषयों में फर्स्ट रैंक हासिल की।
परीक्षा जून 2018 में हुई, अगस्त में परिणाम आया और सितम्बर में दस्तावेज सत्यापन का कार्य भी सम्पन्न हो गया अब नियुक्ति होना शेष है।

परीक्षा में चयन होने एवं दस्तावेज सत्यापन के उपरांत नियुक्ति की उम्मीद में जो पहले से कहीं और नोकरी कर रहे थे उन्होंने अपनी नोकरी छोड़ दी तथा चयनित हुए कई अतिथि विद्वानों ने अतिथि विद्वान के रूप में कार्य करना बंद कर दिया, जो अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे उन्होंने भी अपनी तैयारी बंद कर दी। अब नियुक्ति पत्र नहीं मिलने के कारण उच्च शिक्षा के भविष्य के साथ ही 2536 योग्य एवं प्रतिभावान चयनितों का भविष्य भी अधर में है।

नियुक्ति को लेकर चयनित हुए 2536 अभ्यर्थियों एवं प्रदेश की उच्च शिक्षा के भविष्य का राजनीतिकरण कर दिया गया क्योंकि कुछ निश्चित लोग जो हमेशा से ही किसी भी सूरत में भर्ती नहीं होने देना चाहते थे, उनके द्वारा सरकार पर अलग अलग मुद्दों को लेकर तथ्यहीन आरोप लगाकर दबाव बनाया गया। राजनीतिक इच्छाशक्ति वोटबैंक की राजनीति के सामने फीकी पड़ गयी।

पहले की सरकार ने नियुक्ति पत्र जारी नहीं किये क्योंकि उसकी दिलचस्पी उच्च शिक्षा के भविष्य से अधिक वोटबैंक बचाने की राजनीति करने में थी और अब वर्तमान सरकार भी हम चयनितों को नियुक्ति पत्र जारी ना कर उस खेल को जारी रखने की कोशिश कर रही है। उच्च शिक्षा के भविष्य की चिंता नेताओं को शायद इसलिए नहीं है कि नेताओं के बच्चे तो मोटी फीस देकर विदेशों में पढ़ ही लेते हैं और यहाँ के कॉलेजों में तो आम आदमी और गरीब आदमी के बच्चे पढ़ेंगे उनसे उन्हें क्या मतलब!

हमें तो यह समझ नहीं आता कि हमने जो कई सालों से इस भर्ती का इंतजार कर रहे थे और इसकी तैयारी के लिए दिनरात मेहनत की, कोई अपराध किया है क्या?जिसकी वजह से हमें आज दिनांक तक नियुक्ति पत्र जारी नहीं किये गए। Mppsc से चयन होने के उपरांत भी हमें नेताओं के सामने नियुक्ति के लिए हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं उन्हें ज्ञापन दे रहे हैं। कोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं। 

हमें अथाह मानसिक और आर्थिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है यह हमारे सम्मान और स्वाभिमान के भी खिलाफ है कि एक राजपत्रित अधिकारी के पद के लिए चयन होने के बावजूद हमें ये सब करना पड़ रहा है। क्या हमने यही सब करने के लिए अपने विषय मे विशेषज्ञता हासिल की है ?क्या हम इतनी कठिन परीक्षा में चयनित इसलिए हुए हैं कि हमें आधार बनाकर राजनीति की जाए? क्या उच्च शिक्षा के भविष्य की किसी को चिंता नहीं है?

अगर आंदोलन , धरना, ज्ञापन,अनशन,मीडिया कवरेज और नेताओं के हाथ जोड़ने से ही नियुक्ति मिलनी है तो फिर शिक्षा संस्थान और चयन आयोग बंद कर देने चाहिए। मापदंड तय कर देना चाहिए कि जो इन सब चीज़ों का जितना अधिक उपयोग करेगा उसे उतनी बड़ी पोस्ट पर चयनित किया जाएगा। हम भी पढ़ाई लिखाई छोड़कर इसी की तैयारी करते हैं अब!
द्वारा-
मध्यप्रदेश असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा 2017 में चयनित एक अभ्यर्थी।

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