भोपाल। मध्यप्रदेश जब कांग्रेस ने सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के विंध्य में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इतना ही नहीं अजय सिंह खुद भी अपने घर चुरहट से चुनाव हार गए। चुनाव प्रचार के समय मुख्यमंत्री पद की दावेदारी अजय सिंह अब संगठन में रिक्त होने जा रही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी टारगेट किए बैठे हैं। दिग्विजय सिंह का स्थाई आशीर्वाद तो प्राप्त है ही। कमलनाथ ने भी हामी भर दी है। कमलनाथ ने इसके लिए राहुल गांधी को भी मना लिया है। अब बस ज्योतिरादित्य सिंधिया की अनापत्ति शेष है।
अजय सिंह भी बीते दो दिन से दिल्ली में ही हैं। सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी दिल्ली में हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया व राहुल गांधी तो दिल्ली में होते ही हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो बुधवार तक अजय सिंह के नाम की घोषणा हो सकती है। बता दें कि चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष और उनके साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए थे। इनमें से सिर्फ रामनिवास रावत संगठन के काम के बचे हैं, क्योंकि वो भी अजय सिंह की तरह चुनाव हार गए हैं। सिंधिया गुट के विधायक चाहते हैं कि रामनिवास रावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए।
अजय सिंह के कारण कांग्रेस का सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं हो पाया था
मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले जैसे ही कांग्रेस की ओर से सीएम कैंडिडेट घोषित करने की बात शुरू हुई, अजय सिंह तेजी से सक्रिय हो गए थे। वो खुद को सबसे सशक्त दावेदार मान रहे थे। हालात यह थे कि अजय सिंह ने दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं होने दिया। आलोचक कहते हैं कि यदि कांग्रेस सीएम कैंडिडेट घोषित करके लड़ती तो उसकी सीटें 125 से ज्यादा होतीं।
अजय सिंह समर्थकों ने प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया से अभद्रता की थी
सीएम कैंडिडेट या सीएम पद की दावेदारी के लिए अजय सिंह की महत्वाकांक्षाएं संगठन के दायरे से आगे निकल गईं थीं। प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने जब पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीएम पद के दावेदारों में अजय सिंह का नाम नहीं लिया तो अजय सिंह समर्थकों ने उनके साथ अभद्रता की। मामला दिल्ली तक पहुंचा परंतु अजय सिंह ने इस अभद्रता के लिए माफी नहीं मांगी।