भोपाल। बसपा प्रमुख मायावती द्वारा समर्थन वापसी की धमकी के बाद मध्यप्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा ने अप्रैल 2018 में हुए भारत बंद के दौरान दर्ज हुए ऐसे मामलों की जांच करने का निर्णय लिया है, जो कथित तौर पर दुर्भावनापूर्ण तरीके से फंसाने के लिए दर्ज किए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिनके नाम दुर्भावनापूर्ण जोड़े गए उन्हे हटाया जाएगा। यानी सभी केस वापस नहीं होंगे। केवल निर्दोषों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाएंगे।
मध्यप्रदेश के विधि एवं विधायी मंत्री पीसी शर्मा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री कमलनाथ को नोटशीट लिखकर भेजी है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार भाजपा शासनकाल में कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर कायम हुए राजनीतिक केस वापस लेने की तैयारी पहले से कर रही है। शर्मा ने मंगलवार को यहां बताया कि भारत बंद के दौरान जिन लोगों के नाम जबरन जोड़ दिए गए हैं, ऐसे मामलों की जांच कर बेकसूर लोगों के केस वापस लिए जाएंगे।
भाजपा सरकार से प्रताड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसमें सिर्फ उन्हीं मामलों को शामिल किया जाएगा, जो राजनीतिक कारणों से कायम किए गए थे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा है कि 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान दलितों पर दर्ज किए गए केस समीक्षा के बाद वापस लेंगे।
CORT की गाइड लाइन का पालन किया जाएगा: Vivek Tankha
राज्यसभा सांसद एवं कांग्रेस के विधि विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष विवेक तन्खा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की गाइडलाइन के तहत आने वाले राजनीतिक मामले ही वापस लिए जाएंगे। गौरतलब है कि मायावती ने सोमवार को धमकी दी थी कि अप्रैल 2018 में भारत बंद के दौरान जातिगत और राजनीतिक द्वेष से फंसाए गए लोगों पर दर्ज केस वापस नहीं लिए तो मप्र और राजस्थान में कांग्रेस सरकार को समर्थन देने के फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा है कि 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान दलितों पर दर्ज किए गए केस समीक्षा के बाद वापस लेंगे।