नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अब अपने स्टेंड पर वापस आने लगा है। वो भाजपा के लिए खेत तैयार करने वाले मजदूर की भूमिका से निकलने की कोशिश कर रहा है और अब भाजपा नेताओं को सबक सिखाने के उपक्रम भी कर रहा है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह को सबक सिखाने के बाद अब संघ के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी भी आ गए हैं। पीएम मोदी के इंटरव्यू के तत्काल बाद आरएसएस ने भी बयान जारी किया।
क्या कहा है पीएम नरेंद्र मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा है, 'हम बीजेपी के घोषणापत्र में कह चुके हैं कि कानूनी प्रक्रिया के तहत राम मंदिर मसले का हल निकाला जाएगा।' उन्होंने कहा कि पहले कानून प्रक्रिया पूरी होने दीजिए, उसके बाद अध्यादेश के बारे में विचार किया जाएगा।'
राम मंदिर पर आरएसएस का स्टेंड क्या है
सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई टलने के बाद आरएसएस तेजी से सक्रिय हुआ और वो लगातार केंद्र सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने के लिए दबाव बना रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए कानून बनना चाहिए। आरएसएस का मानना है कि इस मामले में केंद्र सरकार की अनदेखी या लापरवाही आत्मघाती हो सकती है। इसका नुक्सान केवल भाजपा ही नहीं बल्कि आरएसएस को भी होगा।
मोदी के इंटरव्यू के बाद आरएसएस ने क्या बयान जारी किया
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने प्रधानमंत्री को बीजेपी के पालमपुर अधिवेशन के प्रस्ताव के बारे में याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि राममंदिर बनाने के लिए 'सुयोग्य कानून' बनाने का प्रयास करेंगे। संघ ने कहा है कि जनता ने उन पर विश्वास व्यक्त करते हुए बहुमत दिया। इस कार्यकाल में सरकार वह वादा पूर्ण करे, ऐसी भारत की जनता की अपेक्षा है। यह बयान आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के नाम से जारी किया गया।
क्या मोदी और आरएसएस के बीच तनाव बढ़ रहा है
राममंदिर मामले में आरएसएस ने शालीन शब्दों में पीएम नरेंद्र मोदी सरकार को एक तरह से चेतावनी जारी कर दी है। स्पष्ट कर दिया है कि यदि वो इसी कार्यकाल में राममंदिर विवाद का हल नहीं निकालते तो लोकसभा 2019 में आरएसएस से सहयोग की उम्मीद ना करें। बता दें कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में संगठन ने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान का सहयोग नहीं किया था बल्कि स्वयं सेवकों को संकेत दे दिया था कि इस चुनाव में वो अपने विवेक से निर्णय करें। शिवराज सिंह ने भी आरएसएस की अनदेखी की थी।