PUBG GAME खतरनाक साबित हो रहा है, 120 से ज्यादा केस दर्ज | NATIONAL NEWS

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NEW DELHI : भारत में पबजी (प्लेयर अननोन्स बैटल ग्राउंड्‌स) गेम बहुत तेजी से लोकप्रिय हुआ है। युवाओं में इस गेम को लेकर जबर्दस्त क्रेज देखा जा रहा है। मगर इस गेम का बच्चों व युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों में नेशनल इंस्टीट्‌यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में 120 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए, जिनमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इस गेम का विपरीत प्रभाव देखा गया।

क्या है PUBG?

पबजी एक गेम है जिसमें 100 प्लेयर्स एयरप्लेन से एक आइलैंड पर उतरते हैं। वहां पहुंचने पर उन्हें वहां मौजूद अलग-अलग घर व स्थानों पर जाकर हथियार, दवाइयां और युद्ध के लिए जरूरी चीजों को कलेक्ट करना होता है। प्लेयर्स को बाइक, कार और बोट मिलती है ताकि वे हर जगह जा सकें और विरोधी को गेम में मारकर आगे बढ़ सकें। 100 लोगों में आखिर तक जिंदा रहने वाला प्लेयर गेम का विनर बनता है।

पिछले कुछ समय में यह गेम भारत में बहुत तेजी से लोकप्रिय हुआ है। हाल में इस गेम की लत के कारण हजारों युवाओं के व्यवहार में परिवर्तन देखा गया है। चिकित्सकों के मुताबिक यह बहुत चिंताजनक है कि किसी गेम की लत के कारण हजारों युवाओं में असामान्य व्यवहार के मामले सामने आ रहे हैं।

मस्तिष्क पर असर / Effect on the brain

नेशनल इंस्टीट्‌यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में आए सैकड़ों मामलों में देखने में आया कि बचचों में नींद की परेशानी, असल जिंदगी से दूरी, कॉलेज व स्कूल से लगातार अनुपस्थित होने, पढ़ाई में पिछड़ने और गेम छोड़ने गुस्सा बढ़ने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। बच्चे इस गेम में इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ खेलने के लिए रात के 3-4 बजे तक जागते हैं, जिससे उनको कई तरह की स्वास्थ्यगत समस्याएं शुरू हो गई हैं।

गेम की लत के खतरे / The threat of game addiction

-देर रात तक जागने के कारण स्लीपिंग पैटर्न बदल रहा है।
-स्लीपिंग पैटर्न बदलने से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ रहा है।
-सही नींद न ले पाने के कारण मस्तिष्क को नुकसान पहुंच रहा है, जिससे याददाश्त की कमजोरी, एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में बाधा, बौद्धिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
-गेम में हथियारों के प्रयोग और जीतने की जंग के कारण युवाओं में आक्रामता बढ़ रही है।
-बच्चों के स्वभाव में एक अजीब तरह का चिड़चिड़ापन और असंवेदनशीलता देखी जा रही है।
-कई बार खाने-पीने और सोने की आदतों में बदलाव के कारण बच्चों का शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है।

हर महीने 40 से ज्यादा मामले आ रहे हैं

क्लीनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, शुरुआत में बच्चों में दिमागी असंतुलन के सिर्फ 3-4 मामले सामने आए थे। मगर समय के साथ ये मामले बढ़ने लगे और अब हर महीने 40 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। वे बताते हैं कि हाल ही में 19 साल के एक लड़के को उसके माता-पिता उनके पास लेकर आए थे। उन्हें बताया गया कि लड़का रात को करीब 4 बजे के बाद खेलना शुरू करता था ताकि वह इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ गेम को खेल सके। इस वजह से उसका स्लीपिंग पैटर्न बदल गया। वह दोपहर में करीब 12 बजे उठता और फिर घंटों तक लगातार गेम ही खेलता रहता।

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