उपदेश अवस्थी/भोपाल। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार एक साथ 2 सीटों से चुनाव लड़ेंगे। उत्तरप्रदेश की अमेठी तो उनकी परंपरागत सीट है ही, लेकिन इसके बाद उनके लिए किसी दूसरी सीट की भी तलाश की जा रही है जहां से उन्हे रिकॉर्ड जीत मिले। AICC में मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा और ग्वालियर पर विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि दोनों सीटों राहुल गांधी को रिकॉर्ड जीत देंगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2014 में दो सीट- वाराणसी और वडोदरा से लड़े थे। दोनों जगह उन्होंने जीत दर्ज की थी। बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी।
दूसरी सीट की तलाश क्यों
राहुल गांधी उत्तरप्रदेश की अमेठी सीट से 2004, 2009 और 2014 में चुनाव जीते हैं। 2014 में भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर मिली थी। राहुल को 408651 और स्मृति को 300748 वोट मिले थे। इससे पहले राहुल ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 370198 और 2004 में 290853 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद से स्मृति लगातार अमेठी का दौरा कर रही हैं। वे अपनी हर रैली में गांधी परिवार को निशाना बनाती हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार भी उन्हें अमेठी से चुनाव लड़ा सकती है।
नियम क्या कहते हैं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 (7) किसी भी उम्मीदवार को लोकसभा, विधानसभा या इनके उपचुनाव में एक साथ अधिकतम दो सीटों पर चुनाव लड़ने की मंजूरी देती है।
पहले किसी प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की सीटों पर कोई बंदिश नहीं थी। 1996 में लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के बाद अधिकतम 2 सीटों पर चुनाव लड़ने की सीमा तय कर दी गई।
Chhindwara का चयन क्यों
छिंदवाड़ा कांग्रेस की देश में सबसे मजबूत सीट है। जब सारे देश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ तब भी यह सीट कांग्रेस के पास थी। स्व. इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को यहां चुनाव लड़ने भेजा था। छिंदवाड़ा के कार्यकर्ताओं एवं जनता ने इंदिरा गांधी की एक आवाज पर ना केवल कमलनाथ को जिताया, लगातार जिताते आ रहे हैं। अब कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और इसके बार रिटायर होने वाले हैं अत: इंदिरा गांधी की यह सीट खाली है।
GWALIOR में क्या फायदा होगा
स्व. माधवराव सिंधिया के बाद से ग्वालियर में कांग्रेस की हालत काफी खराब हो गई है। यहां जनता आज भी माधवराव सिंधिया को याद करती है और उनके जैसे किसी बड़े नेता का इंतजार कर रही है। इस बार ग्वालियर में भाजपा का भारी विरोध है। नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल के सदस्य एवं सांसद नरेंद्र सिंह तोमर की तो उनकी अपनी पार्टी में हालत खराब है और फिर यह राहुल गांधी के प्रिय मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया का शहर है। यहां राहुल गांधी को रैलियां करने भी नहीं आना पड़ेगा। जीत की गारंटी ज्योतिरादित्य सिंधिया है।
एक विकल्प यह भी है
अशोक चव्हाण ने एक इंटरव्यू में कहा, "राहुलजी पार्टी अध्यक्ष हैं। वे किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। अगर वे नांदेड़ चुनते हैं तो उनका स्वागत है।" 2014 में नांदेड़ सीट पर चव्हाण ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा के डीवी पाटिल को हराया था। महाराष्ट्र में इस साल विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि चव्हाण को राज्य में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। उन्हें कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री के पद का उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है।