रतलाम। लोकायुक्त पुलिस ने दावा किया है कि उसने एक छापामार कार्रवाई में सैलाना एसडीएम लक्ष्मी गामड़ के रीडर मनीष विजयवर्गीय को 3000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। वो नलकूप खनन की परमिशन के बदले रिश्वत ले रहा था। अभी यह पता लगाया जाना शेष है कि मनीष विजयवर्गीय यह रिश्वत एसडीएम की जानकारी में रहते हुए ले रहा था या नहीं।
मिली जानकारी अनुसार लोकायुक्त दल ने रीडर मनीष विजयवर्गीय को तीन हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। फरियादी हरिवल्लभ बामनिया को बोरिंग करवानी है। इसलिए वह एसडीएम के नाम आवेदन लेकर पहुंचा था। यहां उसकी मुलाकात रीडर मनीष विजयवर्गीय से हुई। रीडर ने फरियारी से अनुमति दिलाए जाने के नाम पर पांच हजार रुपए की मांग की। फरियादी ने इतने रुपए देने में असमर्थता जाहिर की तो बात तीन हजार रुपए पर तय हुई।
रिश्वत के रुपए देने के लिए उस समय हरिवल्लभ ने हामी भर दी, लेकिन बाद में वह इसकी शिकायत लेकर उज्जैन लोकायुक्त पुलिस के पास पहुंचा। फरियादी की शिकायत जांचने के बाद गुरुवार सुबह लोकायुक्त का दल सैलाना पहुंचा। यहां टीम ने तीन हजार रुपए देकर हरिवल्लभ को रीडर मनीष के पास भेजा। जैसे ही फरियादी ने रीडर को रुपए दिए, टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।
खुलेआम रिश्वत लेता था मनीष, अफसरों का संरक्षण प्राप्त
रीडर मनीष विजयवर्गीय के खिलाफ 2016 में भी रिश्वतखोरी की शिकायत हुई थी। जन सुनवाई में 26 जुलाई 2016 को ग्राम झरी तहसील सैलाना के भीमा-हकरा निनामा ने एडीएम धर्मेन्द्र सिंह को शिकायत की थी कि सैलाना के तहसीलदार के रीडर मनीष विजयवर्गीय ने एक हजार रूपये की रिश्वत नहीं दिये जाने पर उसे न्यायालय से धक्के मारकर निकलवा दिया और धमकाया कि आईंदा आना मत। उसने शपथ पत्र देकर रिश्वत खोरी की शिकायत की थी। एडीएम ने एसडीएम सैलाना को जॉच के निर्देश देते हुए कार्यवाही करने को कहा है। एसडीएम कैसी जांच की यह तो पता नहीं लेकिन इस शिकायत के बाद मनीष विजयर्गीय एसडीएम का रीडर बन गया।