रतलाम। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी हिम्मत पाटीदार की हत्या के मामले में नया मोड़ आया है। शव का डीएनए हिम्मत पाटीदार के परिवार से मैच नहीं हुआ। यानी यह स्पष्ट हो गया कि शव हिम्मत पाटीदार का नहीं है। गांव से 2 लोग गायब हैं। सवाल यह है कि जबकि वह शव हिम्मत पाटीदार का नहीं है तो हिम्मत पाटीदार कहां है। कहीं उसने ही तो यह हत्या नहीं की।
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के कमेड़ में हुई हत्या के मामले में सागर में हुई डीएनए जांच के बाद पूरी कहानी ही बदल गई है। हालांकि एसपी गौरव तिवारी ने अभी डीएनए की जांच रिपोर्ट मिलने की बात से ही इनकार किया है लेकिन पुलिस सूत्र इसकी पुष्टि कर रहे हैं। अब मामला फिर से उलझ गया है। पुलिस के सामने 2 चुनौतियां आ गईं हैं। पहली आरएसएस पदाधिकारी हिम्मत पाटीदार कहां है और दूसरी खेत में जो शव मिला वो किसका है।
आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम क्या है
23 जनवरी 2019 को किसान लक्ष्मीनारायण पाटीदार ने अपने खेत पर एक शव देखा।
किसान लक्ष्मीनारायण का बेटो हिम्मत पाटीदार 22 जनवरी की रात इसी खेत पर आया था।
शव के पास हिम्मत की बाइक भी खड़ी थी। अत: यह मान लिया गया कि हिम्मत की हत्या हो गई है।
हिम्मत पाटीदार आरएसएस के शिवपुर मंडल का पूर्व कार्यवाह है।
संघ कार्यकर्ता की हत्या से सनसनी फेल गई।
खेत में पड़ी लाश का चेहरा झुलसा हुआ था। गले पर धारदार हथियार के चार वार थे।
पिता लक्ष्मीनारायण व चचेरे भाई सुरेश ने लाश की शिनाख्त हिम्मत के रूप में की।
पुलिस ने तलाश की तो गांव का युवक मदन पिता भागीरथ मालवीय गायब था।
मदन मालवीय को हत्या का आरोपी मानकर तलाश शुरू कर दी गई।
यहां से बदली जांच की दिशा
वरिष्ठ अधिकारियों ने जब शव और हिम्मत कोठारी के फोटो का मिला किया तो त्वचा का रंग अलग दिखा।
लाश का रंग गेहुंआ था जबकि परिजन द्वारा उपलब्ध करवाए फोटो में हिम्मत का रंग गहरा सांवला है।
इसी शंका में पुलिस ने दोबारा जांच शुरू की।
संदिग्ध मदन के परिजन को शव के साथ मिले कपड़े दिखाए।
मदन की पत्नी ने उसका अंतरवस्त्र पहचान लिया।
मृतक की शिनाख्ती संदिग्ध होने पर मदन व हिम्मत के माता-पिता के रक्त के नमूने जांच के लिए सागर भिजवाए। इसके बाद सारी कहानी ही बदल गई।