SBI मैनेजर की बेटी तीसरी मंजिल से कूदी, मौत | MP NEWS

NEWS ROOM
इंदौर। भारतीय स्टेट बैंक की रतलाम ब्रांच में मैनेजर श्री सुरेन्द्र कुलहार की 26 वर्षीय बेटी सोनल ने अपने ही अपार्टमेंट की तीसरी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। उसने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है। परिवार ने बताया कि वो 2015 से सिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रसित थी। उसकी सगाई हो गई थी परंतु जब ससुराल वालों को बीमारी का पता चला तो उन्होंने सगाई तोड़ दी। तभी से वो डिप्रेशन में चली गई थी। 

विजय नगर टीआई रत्नेश मिश्रा के मुताबिक मृतका 26 वर्षीय सोनल पिता सुरेंद्र कुलहार है। वह विजय नगर क्षेत्र स्थित रॉयल प्रीमियम बिल्डिंग के वीनस अपार्टमेंट में रहती थी। शनिवार शाम 5 बजे उसने इसी अपार्टमेंट की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। घटना के वक्त घर में मां अंजना थी। लोग चिल्लाए तो मां बाहर आई। पुलिस को घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। सोनल की छोटी बहन मोनल इंजीनियरिंग कर रही है। घटना के समय वह कॉलेज गई थी। सूचना मिलते ही पिता भी रतलाम से रवाना होकर रात को इंदौर पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक सोनल की सगाई भी तय हो गई थी, लेकिन बीमारी के चलते उसकी सगाई टूट चुकी थी। इससे वह तनाव में रहने लगी थी।

2015 से चल रहा था इस बीमारी का इलाज 

रिश्तेदार प्रेमनारायण तंतुवाय ने बताया सोनल के पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में रतलाम में मैनेजर हैं। सोनल बी फार्मा कर चुकी थी। पढ़ाई के दौरान ही 2015 में उसे इस बीमारी का पता चला। उसका पुणे के चैतन्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में चार महीने तक इलाज भी चला। चार साल से वह दवाइयां भी ले रही थी। वह गुमसुम रहने लगी थी। नींद में चलती थी। इससे वह डिप्रेशन में आ गई थी। उसका किसी काम में मन नहीं लगता था। दोस्तों से भी ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। ज्यादातर समय वह अकेले ही रहती थी। बहन से भी ज्यादा नहीं बोलती थी। 

सिजोफ्रेनिया बीमारी क्या है, इसमें क्या होता है

सिजोफ्रेनिया एक तरह का मानसिक विकार है। इसमें रोगी असामान्य व्यवहार करने के साथ वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थ हो जाता है। रोगी अकेला रहने लगता है। जिम्मेदारियों व जरूरतों का ध्यान नहीं रख पाता। रोगी को विभिन्न प्रकार के अनुभव हो सकते हैं जैसे कुछ ऐसी आवाजें सुनाई देना जो अन्य लोगों को न सुनाई दे, कुछ ऐसी वस्तुएं, लोग या आकृतियां दिखाई देना जो औरों को न दिखाई दे या शरीर पर कुछ न होते हुए भी सरसराहट या दबाव महसूस होना। रोगी को ऐसा लगता है कि लोग उसके बारे में बातें करते हैं। उसके खिलाफ हो गए हैं या उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच रहे हैं। कोई बाहरी ताकत उसके विचारों को नियंत्रित कर रही है या उसके विचार उसके अपने नहीं हैं। अपने आप में हंसने, रोने लगता है। अन्य बीमारियों की तरह ही यह बीमारी भी परिवार के करीबी सदस्यों में अनुवांशिक रूप से जा सकती है, इसलिए मरीज के बच्चों या भाई-बहन में इसके होने की आशंका अधिक रहती है। अत्यधिक तनाव, सामाजिक दबाव तथा परेशानियां भी बीमारी को ठीक न होने देने का कारण बन सकते हैं। मस्तिष्क में रासायनिक बदलाव या कभी-कभी मस्तिष्क की कोई चोट भी इस बीमारी की वजह बन सकती है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!