भोपाल। कमलनाथ सरकार ने बसपा सुप्रीमो मायावती की धमकी के बाद 2 अप्रैल 2018 भारत बंद के दौरान हिंसक प्रदर्शन करने वाले SC-ST नेताओं के केस वापस लेने की घोषणा कर दी है। इसके बाद सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स समाज) भड़क उठे हैं। उनका कहना है कि ऐसे ही पक्षपात के कारण शिवराज सरकार सत्ता वापसी नहीं कर पाई। यदि कमलनाथ सरकार ने समानता के सिद्धांत का पालन नहीं किया तो यह पक्षपात उसे भी महंगा पड़ेगा।
सपाक्स की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि सपाक्स समाज सरकार के इस निर्णय का घोर विरोध करती है कि सरकार 2 अप्रैल में भारत बंद के दौरान जिन लोगों ने अनावश्यक उत्पात फैलाकर न सिर्फ शासकीय संपत्ति को नष्ट किया था बल्कि जनसामान्य को परेशान कर खुलेआम हिंसा फैलाई थी और जिनके विरुद्ध कार्यवाही के पुख्ता प्रमाण हैं, उनके विरुद्ध दर्ज सारे प्रकरण वापिस लेगी।
यह अत्यंत दुखद है कि पूर्व सरकार की ही भांति यह सरकार भी उसी तरह की भेदभाव पूर्ण नीतियों को अपना रही है, जिसका खामियाजा पूर्व सरकार ने भोगा था। यह और भी खेदजनक है कि सरकार के कानून मंत्री जो स्वयं सामान्य वर्ग के हैं, इस तरह की घोषणा करते हैं।
सपाक्स समाज संस्था सरकार से अपील करती है कि इस तरह के निर्णय, जो असामाजिकता को बढ़ाते हैं, वापिस लिए जावे। साथ ही संस्था यह चेतावनी भी देती है कि यदि सरकार द्वारा इस प्रकार की एकतरफा एवं अन्यायपूर्ण कार्यवाही की जाती है तो संस्था पुन: विरोध स्वरूप जन आंदोलन प्रारंभ करेगी।