उज्जैन। शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर पवित्र नदी शिक्षा में स्नान करने आए श्रद्धालुओं को प्रशासन ने कान्ह नदी के प्रदूषित पानी से नहला दिया। दरअसल, शिप्रा नदी सूख गई है। अमावस्या स्नान के लिए यहां नर्मदा जल होना चाहिए था परंतु अधिकारी रजाई में सोए रहे। उन्होंने नर्मदाजल की मांग ही नहीं की फिर आनन फानन में पाइन डालकर प्रदूषित पानी खींच लाए।
नर्मदा नहीं पहुंची
कायदे से पीएचई को एक सप्ताह पहले नर्मदा से पानी मांगना था, ताकि चार दिन पानी शिप्रा नदी में त्रिवेणी घाट तक पहुंच जाता लेकिन अफसरों ने दो दिन पहले नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) से 160 एमसीएफटी पानी मांगा। एनवीडीए ने देवास के शिप्रा डेम से 80 एमसीएफटी पानी ही छोड़ा, जो शुक्रवार देरशाम तक त्रिवेणी से नौ किमी पहले पिठौदा बैराज तक ही आ पाया। इसलिए अफसरों ने ताबड़-तोड़ दूसरे इंतजाम किए।
जो गंदा पानी बाहर निकाल दिया था, उसे वापस डाल दिया
कान्ह नदी से त्रिवेणी घाट पर आए जिस गंदे पानी को गुरुवार को बहा दिया था, उसे अब मोटर पंप चलाकर पाइप लाइन से त्रिवेणी के घाट पर लगाए फव्वारों तक लाया जा रहा है। श्रद्धालुओं को अब इसी पानी के फव्वारों में स्नान करना पड़ेगा। सिंहस्थ-2016 के कुछ महीने पहले नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना पूरी हुई, तभी से त्योहारों पर नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़कर स्नान कराया जा रहा था।
क्यों स्नान करने आते हैं लोग
शनिवार को होने वाले स्नान का शनि प्रभावितों के लिए विशेष महत्व है। ज्योतिषियों की राय में शनिश्चरी अमावस्या पर स्नान के अलावा शनिदेव पर तिल्ली के तेल से अभिषेक, उड़द, तिल, लोह पात्र, कपड़े, छतरी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। भिक्षुक या गरीबों को भोजन कराने, रोगियों की मदद भी करें। जिससे कार्य में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।