उज्जैन। प्रशासन एक गलती को दुरुस्त करने के लिए दूसरी गलती कर रहा है। शनिश्चरी अमावस्या पर शिप्रा नदी में पानी नहीं था, लोगों को कीचड़ स्नान करना पड़ा। सीएम कमलनाथ ने कलेक्टर/कमिश्नर को हटा दिया तो घबराए प्रशासन ने उज्जैन शहर के पेयजल हेतु संकलित गंभीर डेम का पानी नदी में छोड़ने की प्लानिंग कर ली है।
नर्मदा का पानी मिलने से नाउम्मीद प्रशासन अब गंभीर डेम के पानी से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान कराएगा। मंगलवार दोपहर पीएचई ने लालपुल के पास गंभीर पाइप लाइन का वॉल खोल कर रामघाट पर पानी भरने की शुरुआत कर दी। इससे गंभीर डेम का पानी कम होगा, जिससे गर्मी में पेयजल संकट की स्थिति बन सकती है। दूसरी तरफ पीएचई के इस कदम को कलेक्टर द्वारा जारी पेयजल परिरक्षण अधिनियम का उल्लंघन भी माना जा रहा है, क्योंकि कलेक्टर ने गंभीर बांध के पानी को पीने के लिए आरक्षित घोषित कर रखा है। इसका अन्य प्रयोजन में उपयोग नहीं किया जा सकता।
शनिश्चरी अमावस्या 5 जनवरी को नर्मदा का पानी नहीं आने के बाद प्रशासन पर मकर संक्रांति के स्नान के लिए रामघाट पर साफ पानी उपलब्ध कराने की चुनौती है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) द्वारा देवास के शिप्रा डेम से पानी छोड़ा जाता है। शनिश्चरी के स्नान के लिए 160 एमसीएफटी पानी छोड़ने के लिए पीएचई ने एनवीडीए को पत्र भेजा था। एनवीडीए ने 80 एमसीएफटी पानी ही छोड़ा, जो त्रिवेणी तक नहीं पहुंचा। इससे स्नानार्थियों को फव्वारों में स्नान कराया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने संभागायुक्त एमबी ओझा और कलेक्टर मनीष सिंह को हटा दिया। कलेक्टर शशांक मिश्रा ने बताया रामघाट से पीएचई में यदि पानी छोड़ा है तो इसकी जानकारी लेकर स्थिति स्पष्ट करेंगे।
दो दिन में देवास का शिप्रा डेम 489.05 मीटर भराया
एनवीडीए के देवास शिप्रा डेम में इतना पानी नहीं है कि उसे मकर संक्रांति के लिए छोड़ा जा सके। मंगलवार को डेम का लेवल 489. 05 मीटर पहुंचा। जबकि सोमवार रात तक डेम का लेवल 488.80 मीटर था। यानी 24 घंटे में केवल 25 सेमी ही पानी बढ़ा है। इस रफ्तार से पानी की आवक रही तो डेम को पूरी क्षमता 494 मीटर तक भरने में काफी वक्त लगेगा। ऐसे में मकर संक्रांति के लिए उज्जैन को इस डेम से पर्याप्त पानी मिलना मुश्किल है। इन हालातों में गंभीर डेम के पानी से रामघाट पर स्नान के लिए पानी उपलब्ध कराने का निर्णय लेना पड़ा है।
2004 में सिंहस्थ के लिए डाली थी पाइप लाइन
लालपुल के पास जिस पाइप लाइन का वॉल खोल कर रामघाट के लिए पानी छोड़ा गया है, वह 700 एमएम की पाइप लाइन 2004 में सिंहस्थ के लिए डाली थी। सिंहस्थ में रामघाट पर स्नान के लिए पानी दिया था। इसके बाद इसका उपयोग गऊघाट पर गंभीर का रॉ वाटर पहुंचाने में हो रहा है। गऊघाट फिल्टर प्लांट को इससे पानी पहुंचाया जाता है। रामघाट भरने के लिए 700 एमएम की लाइन से 300 एमएम की पाइप लाइन जोड़ कर रामघाट पर पानी भरा जा रहा है।
23 अक्टूबर 2018 को लागू किया था प्रतिबंध
गंभीर से अन्य प्रयोजन के लिए पानी लेने पर कलेक्टर ने 23 अक्टूबर 18 को पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू किया था। पीएचई ने पानी की चोरी रोकने के लिए गश्त शुरू की तथा 37 मोटर पंप जब्त किए। दो पर एफआईआर कराई। इससे गंभीर डेम में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा पानी है। सप्लाई के लिए पानी लेने के कारण 1 से 8 जनवरी तक 11 एमसीएफटी पानी रोज कम हो रहा है। रामघाट के लिए पानी लेने से खपत बढ़ जाएगी, जिसका असर मई-जून में दिखाई देगा।
रामघाट के गेट बंद, शिप्रा में मोटरें लगाने पर रोक
रामघाट पर से गंदा पानी बहाने के बाद मंगलवार शाम को स्टापडेम के गेट बंद करने की शुरुआत कर दी है। रामघाट को 4 फीट तक भरा जाएगा। इधर तहसीलदार ने पटवारियों को पत्र भेज कर शिप्रा के अपस्ट्रीम क्षेत्र के सरपंचों और सचिवों को सूचना देने को कहा है कि 14 जनवरी तक नदी में सिंचाई के लिए कोई भी मोटर नहीं लगाए। पत्र में कहा आदेश उल्लंघन करने पर कार्रवाई होगी।
पांच महीने सप्लाई का पानी बचा
मंगलवार सुबह 8 बजे गंभीर डेम में 1293 एमसीएफटी पानी दर्ज किया। डेम से रोज की औसत खपत 8 एमसीएफटी है। इस हिसाब से डेम में रोज एक समय सप्लाई करने पर 5 महीने यानी मई तक शहर को पानी दिया जा सकता है।