इंदौर। फूड डिलीवरी कंपनी ZOMATO में डिलीवरी बॉय बनकर एक ऐसा व्यक्ति घर घर घूम रहा था जिसकी पुलिस को 1 साल से तलाश थी। वो HDFC बैंक में 1 करोड़ 28 लाख रुपए का गबन करके फरार हुआ था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।
इंदौर क्राइम ब्रांच एएसपी अमरेन्द्र सिंह ने बताया कि साइबर अपराधों की जांच के दौरान पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि धार में HDFC BANK में करीब एक साल पहले हुए एक करोड़ 28 लाख रुपए के गबन का आरोपी अंकित घाटे (28 वर्ष) इंदौर के राज मोहल्ला क्षेत्र में देखा गया है। इस पर पुलिस टीम ने जांच शुरू की तो पता चला कि अंकित अपना नाम बदलकर जोमेटो फूड कंपनी में डिलीवरी बॉय बनकर फरारी काट रहा है। मामले की तस्दीक के लिए इंदौर क्राइम ब्रांच ने धार पुलिस से संपर्क किया। थाना नौगांव जिला धार पुलिस ने बताया कि अंकित के खिलाफ धारा 92/18, 420, 409, 467, 468, 120 बी, 471 के तहत मामले दर्ज है।
जांच के दौरान पुलिस को ये भी पता चला कि आरोपी फरारी के दौरान इंदौर, के अलावा खंडवा, देवास और उज्जैन में भी रहा। वर्तमान में वो इंदौर में जोमेटो फूड डिलीवरी कंपनी में पहचान छुपाते हुए नाम बदलकर नौकरी कर रहा था। इस पर पुलिस ने अंकित को हिरासत में ले लिया।पूछताछ में अंकित ने गबन करना स्वीकार किया और बताया कि वह धार का रहने वाला है और BE कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट है।
उसने बताया कि उसके पिता भी पूर्व मे बैंक में काम करते थे और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आरोपी ने इंजीनियरिंग करने के बाद आईटी कंपनी में नौकरी की तलाश की किंतु सफलता ना मिलने के कारण उसने HDFC बैंक जिला धार में नौकरी करना शुरु की। यहां उसका मासिक वेतन 19 हजार रुपए था तथा वह कैशियर के पद पर नियुक्त था। उसने बताया कि बैंक की शाखा में दिन भर में पैसो का पूरा लेनदेन उसी की देखरेख में होता था और शाम को वही पूरा हिसाब बनाकर कैश बैंक के लॉकर में जमा करता था।
वारदात के तरीके के बारे में पूछे जाने पर आरोपी अंकित ने खुलासा किया कि वह ग्राहक द्वारा जमा की जाने वाली राशि की कंप्यूटर में एंट्री करते समय संपूर्ण रकम की राशि को लिखकर उसमें प्रारूप अनुसार दर्शाए नोटों की संख्या को कम लिखता था। जैसे किसी ने 1 लाख रुपए जमा कराए और उसमें 500 रुपए के 200 नोट हैं तो आरोपी अंकित उसमें से 8 नोट निकाल लेता था। जब कंप्यूटर में एंट्री करना होती थी तब 500 रुपए के 192 नोट लिख देता तथा लेकिन कुल राशि 1 लाख ही लिखता था। ऐसे दिनभर में कई खातों के लेनदेन मे वह नोट चुरा लेता था और राशि का गबन करता था।
उसने ये भी बताया कि बैंक में वैरीफीकेशन के दौरान नोटो की जो संख्या लिखी होती उसका मिलान अलग से होता था और कुल राशि का अलग तो ऐसी स्थिति में कंप्यूटर में फीड की गई जानकारी पर नोटों की संख्या समान दिखती तथा फीड किए गए कैश की रकम भी बराबर मिलती थी। ऐसे में परिणास्वरूप आरोपी पर किसी को शक नहीं होता था।
पूछताछ में आरोपी ने ये भी बताया कि उसके पिता नरहरि भी जिला सहकारी सेंट्रल बैंक में नौकरी करते थे। उन पर भी पैसों के गबन का आरोप लगने के बाद उन्होंने वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। पुलिस की पूछताछ में आरोपी अंकित ने बताया कि वो पिछले 3 महीनों से इंदौर में तुषार नाम से फूड डिलीवरी बॉय बनकर फरारी काट रहा है।
ZOMATO अपराधियों को नौकरी पर क्यों रखती है
डिलीवरी बॉय एक ऐसा व्यक्ति है जो घर घर जाता है और कई बार उस समय घर जाता है जब घर में बहुत कम या सिर्फ 1 ही व्यक्ति होता है। कई बार सिर्फ महिलाएं होतीं हैं। ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि कंपनी डिलीवरी बॉय की नियुक्ति करते समय उनका पुलिस वेरिफिकेशन क्यों नहीं कराती। यदि पुलिस वेरिफिकेशन कराया होता तो यह फरार अपराधी उसी समय पकड़ा गया होता।