11 लाख 53 हजार आदिवासियों के सामने जमीन का संकट गहराया | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ ( KAMAL NATH ) के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ( Narendra Saluja ) ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की लापरवाही के कारण आज 17 प्रदेशों के 11 लाख 72 हजार 931 आदिवासियों के सामने अपनी जमीन पर रहने का संकट पैदा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने इन लोगों को शर्तें पूरी न करने के कारण उनकी जमीन से बेदखल करने का नोटिस 17 प्रदेशों की राज्य सरकारों को भेजा है। 

उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ( MODI ) अदिवासी विरोधी सरकार है। आदिवासियों के बेदखल होने का मोदी सरकार को जरा भी दुख नही हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा ने आदिवासी समाज के विकास की चिंता नही की। केन्द्र ने आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट (COURT ) में ठीक से पैरवी नहीं की, जिसके कारण न्यायालय में आदिवासियों का पक्ष कमजोर हुआ और उन्हें जंगल की जमीन से बेदखल करने का आदेश मिला। 

नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि कई पीढ़ियों से वनभूमि पर रह रहे आदिवासियों के सामने सरकार की लापरवाही के चलते बेदखल होने का खतरा मंडरा रहा है। उन्हें जल, जंगल और जमीन के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने भी कहा था कि जब आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई हो रही थी, तब नरेन्द्र मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में मूकदर्शक बनकर खड़ी थी। उन्होंने कहा था कि CONGRESS आदिवासी भाई-बहनों के साथ दुख की इस घड़ी में उनके साथ खड़ी है। सड़क से लेकर संसद तक उनके अधिकारों की लड़ाई हम लड़ेंगे। सलूजा ने कहा कि मोदी आदिवासियों और जंगल में रहने वाले अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने मनमोहन सिंह सरकार द्वारा बनाये कानून का बचाव नहीं कर सकी। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने आदिवासियों को उनके अधिकार देने के वास्ते एक एक्ट पारित किया था। एक्ट की साफ-साफ मंशा थी कि आदिवासियों को उनके अधिकार की जमीन मिलना चाहिये। इसकी एक्ट को लाने की वजह 1927 से चला आ रहा वह इंडियन फारेस्ट एक्ट था जिसमें आदिवासियों को अतिक्रमणकारी बताया गया था। यूपीए सरकार ने इस एक्ट को नया एक्ट लाकर खत्म करने का प्रयास किया था। कांगे्रस सरकार के इस प्रयास को कोर्ट में चैलेंज किया गया। वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद सरकार ने अपना बेहद कमजोर पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा। इस कारण देश के आदिवासियों की आवाज का जोरदार प्रतिनिधित्व नहीं हो पाया।

सलूजा ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने आदिवासियों की जमीन की सैटेलाइट तस्वीरें मांगी थीं। ऐसा करके उन्होंने आदिवासियों को अधिकार न मिलने की स्वयं व्यवस्था कर दी थी। उन्होंने 13 साल तक सही समय पर आदिवासियों का डाटा कोर्ट में नहीं भेजा। इस कारण आदिवासियों प्रतिनिधित्व और उनके मालिकाना हक का दावा भी खारिज हो गया। जिन आदिवासियों को कई बार दो जून का भोजन भी नसीब नहीं हो पाता है वे आज परेशानी में फंस गये। काटने और बांटने की राजनीति करने वाली भाजपा हमेशा कमजोर वर्ग के अधिकारों को छीनने में लगी रहती है। कांगे्रस ऐसा नहीं होने देगी और हमेशा आदिवासियों के हित के लिए लड़ती रहेगी।

सलूजा ने कहा कि मोदी सरकार की गलती से उन सभी आदिवासियों को बेदखल होना पड़ेगा जिनके दावे खारिज हो गए हैं। मोदी सरकार इस मामले में मूक-दर्शक बनी रही। लाखों आदिवासियों और गरीब किसानों को जंगलों से बाहर निकालने का भाजपा और मोदी को कोई दुख नही है। 

सलूजा ने मांग की है कि हर छोटी-छोटी बात पर अध्यादेश लाने वाली भाजपा सरकार आदिवासियों को जमीन के अधिकार के मुद्दे पर भी अध्यादेश लाये ताकि उन्हें अपना अधिकार मिल सके। साथ ही संसद की मुहर भी लग सके। ऐसा न होने पर कांगे्रस सड़कों पर आकर आदिवासियों की लड़ाई लड़ेगी।

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