रितेश देबनाथ। मध्यप्रदेश शासन के समस्त शासकीय/अर्द्धशासकीय विभागों, निगमो, मंडलों, लोकसेवा केंद्रों, सहकारी संस्थाओं में कार्यरत समस्त प्रकार के कंप्यूटर आपरेटरों की शासन द्वारा कोई भी सुध नही ली जा रही है। मध्यप्रदेश कंप्यूटर ऑपरेटर महासंघ द्वारा अनेको बार अपना ज्ञापन माननीय मुख्यमन्त्री, विधायको, मंत्रियों को दिया गया है। महासंघ द्वारा 13 जनवरी में इतिहास रचते हुए सभी कंप्यूटर आपरेटरों में एक साथ एक मंच पर लाकर माननीय मुख्यमंत्री महोदय के लिए एक वृहद सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था जिसमे शीर्ष के दो बड़े मंत्री माननीय पीसी शर्मा तथा माननीय कमलेश्वर पटेल जी सम्मान समारोह में शामिल हुए तथा उनके द्वारा आश्वासन दिया गया कि मांग पत्र पर निर्णय जल्द ही लिया जाएगा लेकिन आज दिनांक तक शासन द्वारा महासंघ की मांगों को गंभीरता से नही लिया गया।
8 फरवरी को कांग्रेस कर्मचारी संघठन के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा सभी संघठनो की बैठक रखी गई थी उक्त बैठक में भी मध्य प्रदेश कंप्यूटर ऑपरेटर महासंघ को नही बुलाया गया। एक प्रकार से शासन द्वारा कंप्यूटर आपरेटरों को अनदेखा किया जा रहा है। महासंघ के पदाधिकारियो द्वारा दिल्ली तक में डेरा जमाया गया एवं श्री विवेक तंखा जी से मुलाकात की गई। उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराया गया। समय धीरे-धीरे बीत रहा है शासन केवल अतिथि शिक्षकों एवं संविदा कर्मचारियों पर ध्यान दे रही है। अन्य संघठनो की भी मांगो पर वित्तीय भार का हवाला देते हुए सभी मांगो को एक किनारे कर दिया गया है। इससे सभी कर्मचारियो में रोष व्याप्त है। सबसे निचले तबके के कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटरो की भी कुछ मांगे ऐसी है जिनका त्वरित निराकरण किया जा सकता है तथा उन माँगो पर कोई वित्तीय भार नही आएगा।
शासन 16 तारीख की कैबिनेट की बैठक में कंप्यूटर आपरेटरों की मांगों पर विचार नही करती है तो कंप्यूटर ऑपरेटर 16 तारीख से आर-पार की लड़ाई करने के मूड में दिखाई दे रहे है। जिसका खामियाजा सरकार को उठाना पड़ सकता है। अगर सभी विभागों के कंप्यूटर सिस्टम एक साथ बन्द हो जाएंगे तो शासन को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। अब देखना यह है कि शासन बिना कंप्यूटर के कार्य करने में सक्षम है या कंप्यूटर ऑपरेटरों की मांगों पर जल्द ही विचार करेगी।