भोपाल। दिनांक 4.02.2019 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ राज्य के पदोन्नति नियम 2003, जो मप्र पदोन्नति नियम 2002 के ही अनुसार हैं, को खारिज कर दिया। यह उल्लेखनीय है कि निर्णय में एम नागराज प्रकरण (2006) और हाल ही के मान सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के निर्णय का हवाला देकर मान उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ ने अपना निर्णय दिया है।
अब यह पूरी तरह स्पष्ट है कि मप्र पदोन्नति नियम 2002 के संबंध में मान उच्च न्यायालय जबलपुर का निर्णय मान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यथावत रखा जाएगा। मप्र सरकार अनावश्यक रूप से अपनी अपील मान सर्वोच्च न्यायालय में लंबित रखकर पदोन्नतियां रोके हुए है। सपाक्सा संस्था अपील करती है कि मप्र सरकार तत्काल मान सर्वोच्च न्यायालय से अपनी अपील वापिस लेकर मान उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करे।
सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) यह भी स्पष्ट करना चाहती है कि पूर्व सरकार ने कतिपय स्वार्थों के कारण सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के हितों पर कुठाराघात करते हुए 3 वर्षों तक निर्णय के बावजूद अन्याय किया गया और इन वर्गों के शासकीय सेवकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उक्त फैसले के संदर्भ में आज संस्था पदाधिकारियों की आपात बैठक में निर्णय लिया गया कि मान मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को इस फैसले की जानकारी देते अपील की जावे कि पूर्व सरकार की भांति अन्याय न करते हुए तत्काल मान उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्णय अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करे अन्यथा संस्था पूर्व की तरह प्रदेश भर में न्याय के लिए जनसामान्य की अदालत में जाएगी।
आपात बैठक में सपाक्स संस्था के अध्यक्ष श्री के एस तोमर, सचिव श्री राजीव खरे, उपाध्यक्ष श्रीमती रक्षा चौबे, श्री डी एस भदोरिया, कोषाध्यक्ष श्री राकेश नायक, संस्थापक सदस्य श्री अजय जैन, श्री बी एम सोनी, श्री आलोक अग्रवाल, श्री अनुराग श्रीवास्तव, सपाक्सा समाज संस्था सचिव श्री भानु तोमर, युवा ईकाई अध्यक्ष श्री अभिषेक सोनी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।