अक्षय भंडारी। दंत चिकित्सक नियुक्ति को लेकर मध्य प्रदेश दन्त चिकित्सा सेवा संगठन संस्था जिला धार के सेक्रेटरी डॉक्टर नंदन वैद्य ने बताया है कि 2013 के बाद अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है वहीं दूसरे राज्यों में भर्तियां वर्ष प्रतिवर्ष निरंतर देखने को मिलती है क्या कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार को दंत चिकित्सक की आवश्यकता नहीं है।
हॉस्पिटल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दंत चिकित्सक नहीं होने से मरीजों को मजबूरन प्राइवेट डॉक्टर के पास जाना होता है। यू देखा जाए तो मध्य प्रदेश सरकार चुनाव के वक्त अक्सर बात कहती नजर आती है कि शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा लेकिन जहां मध्यप्रदेश में दंत चिकित्सक कॉलेज से लगभग 1000 से अधिक बीडीएस पास आउट हो रहे हैं आज भी सरकार के भर्ती वाले आदेश का इंतजार करते फिर रहे हैं और इसी अभाव में तरस रहे हैं।
वहीं जब बीडीएस अपना स्वयं का दवा खाना शुरू करते हैं तो उसमे अनुमानीत खर्च 2- 3 लाख रूपये लगता है वही दूसरी ओर प्रायवेट नोकरी मे तनख्वाह 7-8 हजार मिलती है जबकी BDS की पढाई का खर्च 3 लाख रुपये सालाना लगता है। हालांकि प्राइवेट डॉक्टर की यह बात कहीं ना कहीं यही इशारा करती है कि दंत चिकित्सक तो है लेकिन सरकार को इनकी नियुक्तियां क्यों नहीं कर पा रही है।