प्राची नारायण मिश्रा/सिहोरा/बहोरीबंद। कटनी जिले ग्राम तिगवां में 5 वीं सदी में गुप्तकाल के समय की ब्रम्हा, विष्णु, महेश और मन्दिर के द्वार के दोनों तरफ गंगा और जमुना जी विराजी हुई हैं जो इस प्राचीन धरोहर में आकर्षण का केंद्र है। जिसे देखने यहां विदेशी पर्यटकों का भी तांता लगा रहता है। साथ ही यहां पर मुगल शासकों के हमले के बाद दो मन्दिर बचे हुए हैं जिनमे मां शारदा विराजी हैं। यहां पर ऐसी मान्यता है कि शुरू में यहां आल्हा ऊदल पूजा करने आते थे बाद में यहां की शारदा माता सतना जिले के मैहर चली गई थी। जबकि दूसरे मन्दिर में माँ कंकाली विराजित हैं।
यहां के स्थानीय बुजुर्गो ने बताया कि गुरु अमरा की मातेश्वरी शारदा मां यहां पर विराजित हैं जिनके सेवक आल्हा- ऊदल पूजन करने यहां पर आते थे। यह मंदिर 5 वी सदी में गुप्तकालीन काल का है। जबकि दूसरे मन्दिर में कंकाली माता है। जो 1600 वर्ष पुराना हैं, यहां पर पाली भाषा मे लिपि लिखी हुई है जिसे कोई भी नही पढ़ स्का है जिनका भाषा विशेषज्ञ से खोज कराई गई। मन्दिर के अवशेषों में ही प्राचीन मनमोहक कलाकृति है पत्थरो पर बनी हुई है। यहां पर गुप्तकाल के समय पर करीब 25 मन्दिर थे जो मुगल शासन काल मे खण्डित कर तोड़े गए थे। जिनके अवशेष यहां मौजूद हैं। विष्णु जी मूर्ति है। ब्रम्हा महेश और गंगा- जमुना, लक्ष्मी की मूर्ति है। साथ कि यहां पर बुद्ध मूति भी है।
कुंए में नही ठहरता बारिश में भी पानी
इसी प्रांगण में गुप्तकाल के समय का एक उथला सा कुंआ भी है जिसमे यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि कितनी भी बारिश हो इस कुएं में कभी पानी नही रुकता जितना पानी बारिश में भरता जाएगा वह तुरंत ही खाली होता जाता है। जो यहां पर सबसे चौकाने वाली रहस्य की बात है।
कब आएं और कैसे पहुंचे
इस स्थान पर पर्यटन के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का माना जाता है, क्योंकि मौसम अनुकूल रहता है। यहां से सबसे नजदीक कटनी रेलवे स्टेशन है। यदि आप फ्लाइट से आ रहे हैं तो जबलपुर एयरपोर्ट से मात्र 110 किलोमीटर की दूरी पर है। कटनी से सड़क मार्ग द्वारा करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित है बोहरीबंद शहर। यहां से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर 'तिगवां' नाम का गांव है। यही वो स्थल है जहां प्राचीन एवं दुर्लभ प्रतिमाएं स्थापित हैं।