अजमेर। राजस्थान के अजमेर में बुजुर्ग महिला भीख मांगकर अपना पेट पालती थी। पिछले साल अगस्त में उनकी मौत हो गई थी। उन्होंने भीख मांगकर 6.61 लाख रुपये जमा कर रखे थे। अब उनके संरक्षकों ने उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनकी कमाई को पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के नाम पर दान कर दिया है।
बताया गया कि मरने वाली नंदिनी शर्मा ने एक वसीयत छोड़ी थी, जिसमें उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी कि उनके पैसों को देश और समाज के उपयोग में लगाया जाए। नंदिनी शर्मी अजमेर के बजरंगगढ़ में स्थित अंबे माता मंदिर के बाहर भीख मांगती थीं और वहीं से उन्होंने ये पैसे इकट्ठा किए। वह अपने पैसे हर दिन बैंक में जमा करती थीं और अपनी मौत के बाद इन पैसों का ख्याल रखने के लिए उन्होंने दो लोगों को अपना संरक्षक बना रखा था।
जिलाधिकारी से मिलकर शहीदों के नाम पर दिया दान
नंदिनी के संरक्षकों ने उनकी मौत के बाद सही मौके का इंतजार किया। पुलवामा हमले के बाद उन्हें लगा कि यही सही मौका है और इसमें दान करने से नंदिनी को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी। अजमेर के कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने बताया, 'नंदिनी के संरक्षक मेरे दफ्तर में आए और इन पैसों को मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देने की बात कही, जिससे शहीदों के परिवार की मदद हो सके। लीगल सेल ने औपचारिकताएं पूरी की और पैसा लेकर उन्हें एक सर्टिफिकेट जारी कर दिया।'
नंदिनी के संरक्षक संदीप गौर कहते हैं, 'भले ही उनकी कमाई भीख मांगने से आई हो लेकिन वह इसे देश के लिए इस्तेमाल करना चाहती थीं। हमें लगा कि सीआरपीएफ जवानों के परिवार की मदद के लिए इसका उपयोग किया जाना सही रहेगा।' नंदिनी के इस काम की खबर मंदिर के पुजारियों तक पहुंची तो उन्होंने भी नंदिनी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। अंबे माता मंदिर के पुजारी का कहना है, 'श्रद्धालु हमेशा ही नंदिनी का सम्मान करते थे और उन्हें फल, कपड़े और पैसे देते रहते थे। जो रेग्युलर मंदिर आते थे, वे नंदिनी के बारे में जानते थे कि वह अपने पैसे बैंक में जमा करती हैं।'