नई दिल्ली। शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ( Prof. Ram Bilas Sharma ) ने विधानसभा में हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक 2019 (Haryana ATITHI SHIKSHAK SEVA Bill 2019 )पेश करते हुए इन अध्यापकों (ADHYAPKON ) से किया वादा पूरा करने का ऐलान किया। अब अतिथि शिक्षकों को सेवा मुक्त नहीं किया जा सकेगा। उनका वेतन ( SALARY ) 36 हजार रुपए है। अन्य कर्मचारियों के साथ उनकी भी वेतन वृद्धि होगी। इनकी रिटायरमेंट ( Retirement ) आयु 58 साल तय की गई है।
हरियाणा के शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने विधानसभा में हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक 2019 पेश करते हुए इन अध्यापकों से किया वादा पूरा करने का ऐलान किया। इन अतिथि अध्यापकों को फिलहाल वही मानदेय मिलेगा, जो मौजूदा समय में दिया जा रहा है। लेकिन, इसमें लगातार बढ़ोतरी होती रहेगी। JBT को 26 हजार, TGT को 30 हजार और PGT को 36 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है।
अतिथि शिक्षकों के लिए सेवा नियम लागू / Applying the service rules for guest teachers
शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने दावा किया कि अतिथि अध्यापकों को दिए जाने वाले मानदेय की मद में हर साल 505 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह मानदेय हर साल एक जनवरी तथा एक जुलाई से उसी अनुपात में बढ़ाया जाएगा, जिस अनुपात में नियमित सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाता है। प्रो. शर्मा ने अतिथि अध्यापकों को स्थायित्व प्रदान करने के फैसले को सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया है।
11 साल का संघर्ष, 54 आंदोलन, 5 आत्महत्या, 180 मौत और एक शहादत
अतिथि अध्यापकों का संघर्ष 11 साल के लंबे अंतराल के बाद रंग लाया है। इस दौरान छोटे बड़े 54 आंदोलन हुए। पिछली हुड्डा सरकार में 20 दिसंबर 2005 से 16 दिसंबर 2007 के बीच 22 हजार अतिथि अध्यापक लगे थे। 13 जून 2015 को सरकार ने 3581 अतिथि अध्यापकों को सरप्लस बताते हुए हटा दिया। अतिथि अध्यापक सुप्रीम कोर्ट में केस जीत गए। इसके बाद पक्का करने का आंदोलन तेज हुआ। पिछले 14 साल में करीब आठ हजार अतिथि अध्यापक या तो दूसरे विभागों में लग गए या फिर उन्होंने नौकरी छोड़कर अन्य काम धंधे अपना लिए। 2008 में पहला बड़ा आंदोलन हुआ। इसमें पुलिस लाठीचार्ज और गोलीबारी के दौरान राजरानी शहीद हो गई। 13 जून 2015 को 3581 अतिथि अध्यपाकों को सरप्लस बताकर हटाने के सदमे में पांच अतिथि अध्यापकों ने आत्महत्या कर ली और 180 अतिथि अध्यापक विभिन्न कारणों से दिवंगत हो गए।
यह नियमितीकरण नहीं रोजगार गारंटी है: BJP
कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल ने सरकार के फैसले का स्वागत किया। साथ ही कहा कि अतिथि अध्यापकों को नियमित करते हुए 2005 से तमाम सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने अतिथि अध्यापकों को लगाने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को दिया। साथ ही कहा कि सरकार ने अतिथि अध्यापकों को पक्का नहीं किया है, 58 साल तक सिर्फ रोजगार की गारंटी दी है।