तहसीलदार राजेंद्र जैन ने जिंदा इंसान सहित मकान सील कर दिया | BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। किसी भी संपत्ति को सील करने से पहले प्राधिकृत अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वो संपत्ति की जांच करे एवं पर्याप्त दस्तावेज तैयार करने के बाद उसे सील करे लेकिन तहसीलदार राजेंद्र जैन (TEHSILDAR RAJENDRA JAIN) ने फाइनेंस कंपनी (FINANCE COMPANY) के साथ मिलकर एक मकान उस समय सील कर दिया जबकि उसके अंदर एक युवक मौजूद था। 24 घंटे तक वह युवक घर में भूखा प्यासा बंद किया। उसने हंगामा किया तब पुलिस आई और उसे मुक्त कराया गया। 

मकान मालिक ने क्या बताया

मालवीय नगर स्थित 88 नंबर मकान राजकुमार बच्चानी (RAJKUMAR BACHCHANI) का है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में इंडिया इन्फो बैंक (INDIA INFO BANK) से मकान को मॉडगेज कर तीन करोड़ का लोन लिया था। अब तक लोन की 2 करोड़ 56 लाख रुपए की रकम चुका चुका हूं। बीती 15 फरवरी को हमने डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) में अपील की। एक मार्च को उसकी सुनवाई होनी तय है। शनिवार शाम करीब साढ़े पांच बजे मैं, पत्नी, बेटा, बड़े भाई रमेशचंद्र, उनकी पतनी व भतीजा यश घर पर ही थे। तभी फायनेंस कंपनी के 20-30 लोग तहसीलदार राजेंद्र जैन के साथ घर में घुस आए। 

24 घंटे बाद पुलिस ने बाहर निकाला

हम डीआरटी समेत अन्य हवाले देते रहे, लेकिन किसी ने एक न सुनी और मकान सील कर दिया। कहने लगे कलेक्टर कोर्ट से ऑर्डर हुआ है। तबीयत खराब होने के कारण ऊपर के कमरे में सो रहे यश को भी नहीं निकलने दिया। 24 घंटे तक वह भूखा बंद मकान में रहा। हंगामे की सूचना मिलने पर पहुंची जहांगीराबाद पुलिस ने उसे बाहर निकाला। इतनी रकम चुका चुके हैं तो क्या बचे हुए तीस लाख नहीं चुका सकते। इन्होंने मेरा 14 करोड़ का मकान सील कर दिया है। 

पढ़िए तहसीलदार का मासूमियत भरा जवाब

टीटी नगर तहसीलदार राजेंद्र जैन का कहना है कि सरफेजी एक्ट के तहत उक्त मकान को सील करने के लिए कलेक्टर कोर्ट से आदेश हुआ है। विधानसभा चुनाव से पहले भी इस मकान पर फायनेंस कंपनी को कब्जा दिलाया गया था। कुछ दिनों बाद राजकुमार इसमें फिर रहने लगे। कंपनी दोबारा कोर्ट गई तो फैसला उनके पक्ष में ही आया। इसलिए शनिवार को दोबारा कब्जा दिलाया गया। उस वक्त भी पूछा गया तो राजकुमार ने कहा-अंदर कोई और नहीं है। तीन कमरों में ताला लगा था। सवाल करने पर वे बोले कि अंदर कीमती सामान है और मेरे पास अभी चाबी भी नहीं है। ऐसा कभी नहीं होता कि घर में किसी व्यक्ति के होने के बाद भी मकान सील कर दिया जाए। 

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