नई दिल्ली। CBI के नाम से तो हर कोई कांप जाता है, निर्दोष और ईमानदार भी खुद पर संदेह करने लगता है, कि कहीं ना कहीं उससे कोई गलती जरूर हुई होगी परंतु भारत के इतिहास में पहली बार हुआ कि किसी राज्य की पुलिस ने ना केवल CBI अफसरों का हिरासत में लिया बल्कि उनके साथ वो सबकुछ किया जो आज तक किसी सीबीआई अफसर के साथ नहीं हुआ। हिरासत से मुक्त हुए सीबीआई अधिकारियों ने खुद पूरी कहानी सुनाई है।
सीबीआई ने कहा है कि पश्चिम बंगाल पुलिस हमारे अधिकारियों को कस्टडी में लेकर यह जानना चाह रही थी कि हमारी टीम का इन्वेस्टिगेशन प्लान क्या है। बता दें कि चिटफंड घोटाले को लेकर सीबीआई अफसर रविवार को कोलकाता कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे। इस दौरान सीबीआई के अधिकारियों को कोलकाता पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि, कुछ घंटों बाद उन अधिकारियों को छोड़ दिया गया।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोलकाता पुलिस ने टीम के उस अनुरोध को स्वीकार करने से मना कर दिया, जिसमें उसने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के आवास पर अपनी जांच के लिए उसका सहयोग मांगा था। सीबीआई अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि कोलकाता पुलिस अधिकारियों ने सीबीआई टीम पर इसको लेकर दबाव बनाना जारी रखा कि वह इन्वेस्टिगेशन प्लान का खुलासा करे। सीबीआई की उस टीम को जबरन शेक्सपियर सारणी पुलिस थाने ले जाया गया था।
घटना वाले दिन क्या हुआ
अधिकारी ने कहा, ‘कोलकाता पुलिस द्वारा जानबूझकर, बलपूर्वक डाली गई बाधा के चलते सीबीआई अपनी कार्रवाई पूरी नहीं कर सकी और उसे वापस लौटना पड़ा।’ अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने तीन बार पत्र लिखकर राजीव कुमार से मौजूद रहने के लिए कहा था, जो कि चिटफंड घोटाले की जांच करने वाली कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम के सदस्य थे। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि उनसे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर सीबीआई के 11 अधिकारियों की एक टीम दो गवाहों और सहायकों के साथ रविवार शाम पौने 6 बजे कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के आवास के बाहर पहुंची, जहां का प्रवेशद्वार उन्हें बंद मिला।
गाड़ियों में धकेल दिए गए सीबीआई अफसर
अधिकारी ने बताया कि सीबीआई के कुछ अधिकारी शाम 6 बजे शेक्सपियर सारणी पुलिस थाने गए और स्थानीय पुलिस को अपने दौरे के बारे में सूचना देते हुए सहयोग मांगा और उसके लिए इजाजत मांगी। अधिकारी ने बताया कि संबंधित अधिकारी ने उन्हें स्वीकृति देने से मना कर दिया। इस बीच पुलिस आयुक्त के आवास के बाहर खड़े सीबीआई उपअधीक्षक तथागत वर्धन ने मुख्यद्वार की सुरक्षा में खड़े एक पुलिसकर्मी से पूछा कि क्या राजीव कुमार अंदर हैं। अधिकारी ने बताया कि यह पूछे जाने पर पुलिसकर्मी वर्धन को सड़क पर पुलिस के एक वाहन के पास ले गया और उनसे उसमें बैठने को कहा। जब वर्धन ने कहा कि उनसे इस तरह से जबरदस्ती नहीं की जा सकती तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें वाहन में धकेल दिया।
रात में 11 बजकर 55 मिनट पर दर्ज कराई घटनाक्रम की जानकारी
इसके बाद टीम ने तब अपने पुलिस अधीक्षकों पार्थ मुखर्जी (आर्थिक अपराध प्रथम) और प्रमोद कुमार मांझी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा), भुवनेश्वर को मदद के लिए बुलाया। दोनों कोलकाता के दौरे पर थे। दोनों अधिकारी पुलिस थाने पहुंचे और इस बात पर जोर दिया कि इजाजत मुहैया कराई जानी चाहिए और पुलिस को सीबीआई टीम को जांच पूरी करने में मदद करनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के दो डीसीपी मुरलीधर शर्मा और मिराज खालिद से भी संपर्क किया लेकिन उन्होंने भी सहयोग नहीं किया। इसका अंत तब हुआ जब सीबीआई को पुलिस थाने से जाने को कहा गया। वे शहर स्थित अपने निजाम पैलेस कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने रात के 11 बजकर 55 मिनट पर घटनाक्रम की जानकारी दर्ज की।