ग्रेटर नोएडा में लोगों ने CBI टीम को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली / नोएडा। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन- सीबीआई (CENTRAL BUREAU OF INVESTIGATION - CBI) की एक टीम यमुना एक्सप्रेस-वे ( Yamuna Expressway ) औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र ( Industrial Development Authority area ) में हुए 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले ( Land purchase scandal ) की जांच के दौरान सीबीआई के अधिकारी ( CBI officers ) को गिरफ्तार करने सुनपुरा गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने टीम को घेर लिया और दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। घायल टीम को जान बचाकर वापस लौटी। 

जानकारी के मुताबिक, 126 करोड़ रुपये के जमीन खरीद घोटाले की जांच की कड़ी में सीबीआई अधिकारी शनिवार को ग्रेटर नोएडा के सुनपुरा गांव पहुंचे। सीबीआई अधिकारियों की टीम एक आरोपित सीबीआई दरोगा को पकड़ने आई थी। इसकी भनक ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने सीबीआई टीम को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। ग्रामीणों का गुस्सा देखकर सीबीआई अधिकारियों को भागना पड़ा। सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम पर सुबह दबिश देने के दौरान हमला हुआ है।

सीबीआई टीम के साथ मारपीट की खबर लगते ही सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी तत्काल इकोटेक तीन थाना पहुंचे हैं। सीबीआई में तैनात वरिष्ठ अधिकारी व गौतमबुद्ध नगर के पूर्व एसएसपी किरण एस ( SSP Kiran S ) भी पहुंचे हुए हैं। वहीं, सीबीआई में तैनात आरोपित दरोगा के परिजनों के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत दी गई है। जानकारी के मुताबिक, पिटाई से घायल सीबीआई की टीम के अधिकारों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

गौतमबुद्धनगर के एसपी विनीत जायसवाल ( SP Vineet Jaiswal ) ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि आरोपित दरोगा के परिवार वालों ने सीबीआई टीम के अधिकारियों पर हमला किया है। इस बाबत मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू दी गई है। इस मामले में 6 आरोपितों के खिलाफ नामज़द रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने एक को गिरफ्तार कर लिया है।

क्या है मामला
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में हुए 126 करोड़ के जमीन घोटाले मामले में प्राधिकरण की तरफ से बीते साल तीन जून 2018 को कासना कोतवाली में सेवानिवृत्त IAS व प्राधिकरण के पूर्व CEO PC GUPTA समेत 21 आरोपितों पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। PC GUPTA को 22 जून को मध्यप्रदेश के दतिया से गिरफ्तार कर दस दिन की रिमांड पर लेने के बाद मेरठ की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ( Meerut Corruption Prevention Court ) में पेश कर जेल भेजा था। पीसी गुप्ता वर्तमान में भी मेरठ जेल में बंद है। उसकी जमानत कोर्ट से खारिज हो चुकी है।

मथुरा में यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता व अन्य अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए संगठित तरीके से जमीन खरीद घोटाले को अंजाम दिया था। आरोपितों ने 19 कंपनियां बनाकर किसानों से पहले सस्ती दर पर जमीन खरीदी और बाद में उसी जमीन को प्राधिकरण को मोटी दर पर बेचकर करोड़ों रुपये का मुआवजा उठा लिया। भूमि घोटाले का ये पूरा खेल तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता के इशारे पर खेला गया था।

कर्ज लेकर रिश्तेदारों की जमीन खरीदी थी

फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने पर प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने मामले की जांच प्राधिकरण के जीएम प्लानिंग मीना भार्गव से कराई। पता चला था कि यमुना एक्सप्रेस वे का रैंप बनाने व किसानों को सात फीसद आबादी के भूखंड देने के नाम पर प्राधिकरण ने 80 करोड़ रुपये में 57 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। ये जमीन पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता व अन्य अधिकारियों के रिश्तेदारों की थी, जिसे उन्होंने किसानों से दो लाख रुपये बीघा में खरीदा था। बाद में प्राधिकरण अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों से इसी जमीन को 15 से 18 लाख रुपये प्रति बीघा के हिसाब से खरीद लिया था। इसके लिए प्राधिकरण ने बैंकों से कर्ज लिया था, जो अब ब्याज के साथ बढ़कर 126 करोड़ रुपये हो गया है।

21 अधिकारियों के खिलाफ दर्ज है रिपोर्ट

जमीन घोटाले के इस मामले में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता, पूर्व तहसीलदार सुरेश चंद शर्मा समेत 21 अधिकारियों व अन्य लोगों के खिलाफ ग्रेटर नोएडा के कासना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज है। पीसी गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन ओएसडी बीपी सिंह, डीसीईओ सतीश कुमार, तहसीलदार रणवीर सिंह व चमन सिंह का नाम घोटाले में जुड़ चुका है। जांच में पता चला है कि इन अधिकारियों ने मथुरा के अलावा हाथरस व गौतमबुद्ध नगर के 15 गांवों में भी इसी तरह जमीन खरीदकर घोटाला किया गया था।

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