रायपुर। छत्तीसगढ़ में 20 साल के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की सीधी भर्ती की तैयारी चल रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सरकार 15 हजार शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। इससे पहले पिछली सरकार ने चुनाव से ऐन पहले शिक्षाकर्मी व्यवस्था खत्म कर दी थी। कहा था कि नियमित शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इसे लेकर शिक्षा विभाग को नियमावली बनाने को कहा गया।
शिक्षा विभाग ने नियम तय कर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को भेज दिया था। हालांकि शिक्षकों की भर्ती नियम को राज्य शासन की सहमति मिलने से पहले ही चुनावी आचार संहिता लग गई थी और मामला अटक गया था। अब नई सरकार नए सिरे से शिक्षकों की भर्ती की तैयारी कर ही है।
तत्कालीन मध्यप्रदेश में 1998 में अंतिम बार शिक्षकों के पद पर भर्ती की गई थी। इसके बाद सरकार ने शिक्षक भर्ती बंद कर दी और पंचायत विभाग के अधीन शिक्षाकर्मी के पद सृजित किए। तब से शिक्षाकर्मी वर्ग तीन से वर्ग एक तक स्कूलों का संचालन करते रहे। चुनावी साल में शिक्षाकर्मियों ने संविलियन की मांग को लेकर आरपार की लड़ाई लड़ी। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा करनी पड़ी। उस वक्त सरकार ने 8 साल की सेवा पूरी कर चुके एक लाख तीन हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर उन्हें शिक्षक एलबी नियुक्त किया। सरकार ने शेष बचे करीब 75 हजार शिक्षाकर्मियों का चरणबद्ध संविलियन करने की बात कही। यानी जिसका आठ साल पूरा हो जाता वह नियमित होता जाता।
इधर इस मामले में बाजी हाथ से निकलती देख कांग्रेस ने घोषणापत्र में कहा कि वे आए तो दो साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर देंगे। अब कांग्रेस की सरकार आ गई है। हालांकि अभी शिक्षाकर्मियों के संविलियन की शुरूआत नहीं हुई है। इस बीच शुक्रवार को राजनांदगांव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एलान किया कि सरकार 15 हजार शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। शिक्षाकर्मियों की भर्ती तो पिछली सरकार ही बंद कर चुकी थी। अब नई सरकार नियमित शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। सहायक शिक्षक, उच्च श्रेणी शिक्षक और व्याख्याता के पदों पर भर्ती की जाएगी। इन्हें शिक्षक एलबी नहीं कहा जाएगा क्योंकि ये राज्य सरकार के शिक्षक होंगे न कि लोकल बॉडी के। शिक्षकों की भर्ती दो दशक के बाद होने वाली है। इसे लेकर बेरोजगारों में भारी उत्साह है।
स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी / An acute shortage of teachers in schools
प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। पिछले तीन साल से शिक्षाकर्मियों की भर्ती भी नहीं की जा सकी थी। इससे पढ़ाई पर असर हो रहा था। बस्तर और सरगुजा समेत प्रदेश के आदिवासी इलाकों में विज्ञान, गणित, कामर्स के शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए पिछली सरकार आउट सोर्सिंग का सहारा ले रही थी। नई सरकार ने आउट सोर्सिंग को खत्म करने की घोषणा भी की है। 15 हजार शिक्षकों की भर्ती से विषय शिक्षकों की कमी पूरी होने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि मैदानी इलाकों में तो शिक्षक मिल जाएंगे। आदिवासी इलाकों में गणित, अंग्रेजी के शिक्षक तलाश करना मुश्किल हो सकता है।