भोपाल। खबर आ रही है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा "पदोन्नति में आरक्षण" प्रकरण में मान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए "यथास्थिति" के अंतरिम आदेश के कारण बाधित पदोन्नतियों के निराकरण हेतु मान सर्वोच्च न्यायालय से मान उच्च न्यायलय के निर्णय दिनांक 30.04.2016 पर "रोक" के अंतरिम आदेश हेतु निवेदन किए जाने संबंधी एक प्रस्ताव मान मुख्यमंत्री जी को भेजा गया है।
सपाक्स की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सपाक्स ऐसे किसी भी प्रस्ताव के सख्त खिलाफ है तथा शासन की ऐसी किसी भी कार्यवाही का पुरजोर विरोध पूरे प्रदेश में करेगी। यह उन्हीं गलत और एक पक्षीय नियमों से सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग को कतिपय क्षुद्र स्वार्थी तत्वों द्वारा प्रताड़ित करने व शासन को गुमराह करने की साज़िश है। यह स्पष्ट किया जाता है कि संस्था लगातार शासन से एवं मान सर्वोच्च न्यायालय में अन्याय के विरुद्ध लड़ती रही है। इन्हीं क्षुद्र स्वार्थी तत्वों की साजिशों से पूर्व सरकार एक वर्ग विशेष का तुष्टिकरण करती रही तथा वर्तमान सरकार को भी इसी तरह गुमराह करने की कोशिशें प्रारंभ हो चुकी हैं।
मुख्यमंत्री जी द्वारा इस मुद्दे पर दोनों पक्षों से चर्चा कर निराकरण की बात पूर्व में कही गई थी, यदि सरकार द्वारा एक पक्ष विशेष के हित में बिना दूसरे पक्ष को विश्वास में लिए किसी प्रकार की कार्यवाही की जाती है तो संस्था न सिर्फ न्यायालय बल्कि प्रदेश भर में ऐसी किसी भी कार्यवाही के विरुद्ध आन्दोलन करने को मजबूर होगी।
संस्था पुन: शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती है कि पूर्व सरकार की भांति कुछ विभागों में वर्ग विशेष ने प्रभुत्व और वरिष्ठ पदों पर संपूर्ण प्रतिनिधित्व बनाने की गतिविधि प्रारंभ कर दी है। शासन द्वारा संविदा नियुक्तियां समाप्त करने की बात कही गई थी लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग में मंत्रालय में एक व्यक्ति विशेष पर शासन की कृपा पूर्व सरकार की भांति सतत बनी हुई है। जिसका संस्था विरोध करती है।
पुन: संस्था अपेक्षा करती है कि शासन द्वारा इस मुद्दे पर कोई भी ऐसी कार्यवाही न की जावे जो एकपक्षिय एवं अन्यायपूर्ण हो। इस संबंध में शीघ्र संस्था प्रतिनिधि मान मुख्यमंत्री, मान जी ए डी मंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन देगी।