NEW DELHI: डायबिटीज (DIABETES ) एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिससे दुनियाभर के अधिकतर लोग पीड़ित हैं. डायबिटीज व्यक्ति के शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है. व्यक्ति की बीमारियों से लड़ने की ताकत इस बीमारी में पूरी तरह से खत्म हो जाती है. डायबिटीज के इलाज के लिए कई दवाइयां बनाई जा चुकी हैं, जिनसे इस बीमारी में वक्ती तौर पर फायदा तो पहुचंता है, लेकिन बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं होती है. वैज्ञानिकों ( Scientists ) ने स्टेम सेल्स को इंसुलिन (Insulin ) पैदा करने वाले सेल्स में तब्दील करके टाइप-1 डायबिटीज ( Type-1 diabetes ) के इलाज में एक बड़ी सफलता हासिल की है.
कई वर्षों से शोधकर्ता ( Researcher ) ऐसी चीज की खोज कर रहे थे, जिससे तमाम डायबिटीज से पीड़ित लोगों को फायदा पहुंच सके. शोधकर्ताओं ने अब ऐसे हेल्दी बीटा सेल्स ( Healthy beta cells ) बनाए हैं, जो टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में नष्ट हो जाते हैं.
यह स्टडी चूहों पर की गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहों में ये हेल्दी बीटा सेल्स ट्रांसप्लांट करने से इन सेल्स ने इंसुलिन हार्मोन प्रोड्यूस करना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में उनका ब्लड शुगर ( Blood sugar ) नॉर्मल हो गया.
शोधकर्ताओं का मानना है कि इन बीटा सेल्स की मदद से टाइप-1 डायबिटीज का इलाज मुमकिन है. टाइप-1 डायबिटीज बेहद जानलेवा होती है. इस डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन हार्मोन ( Pancreatic Insulin Hormone ) को बहुत कम मात्रा में प्रोड्यूस करते हैं या बिल्कुल ही नहीं करते हैं. कुछ डायबिटीज से पीड़ित लोग पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट कराते हैं लेकिन डोनर पर निर्भर होने की वजह से ये विकल्प बहुत ही सीमित है.
कई वर्षों से वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि स्टेम सेल्स बीटा सेल्स की तरह काम कैसे कर सकती हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को ये पता लगाने में कई रुकावटों का सामना करना पड़ रहा था. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ( University of California ) के सीनियर लेखक डॉ, मैथिएस हेब्रोक( Dr. Matthias Hebbrock ) ने बताया, 'हम और दूसरे लोग अभी तक जो सेल्स प्रोड्यूस कर रहे थे, वो बीच स्टेज में पहुंचकर ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रहे थे. जिस कारण वो सही तरीके से इंसुलिन भी प्रोड्यूस नहीं कर पा रहे थे.'
शोधकर्ताओं के मुताबिक, बीटा सेल्स के सही तरीके से काम करने के लिए आइलेट्स का बनना बहुत जरूरी होता है. शोधकर्ताओं ने लैब में आर्टिफिशियल तरीके से पैंक्रिएटिक स्टेम सेल्स को अलग करके देखा. इसके बाद शोधकर्ताओं ने इसको आइलेट्स ( Islets ) की रूप में दोबारा बनाया, जिसके बाद सेल्स ने ठीक तरीके से काम करना शुरू कर दिया.
शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी तक डायबिटीज की बीमारी से पीड़ित लोगों को इंसुलिन हार्मोन के इंजेक्शन दिए जाते हैं. लेकिन नई तकनीक से डायबिटीज से सुरक्षित रह सकेंगे. उन्होंने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में किडनी, दिल और स्ट्रोक होने की अधिक संभावना होती है. यह स्टडी नेचर सेल ऑफ बायोलॉजी में प्रकाशित की गई है. यह नई तकनीक डायबिटीज के मरीजों के लिए आशा की किरण हो सकती है.
डॉ. हेब्रोक ने कहा, 'हम अब इंसुलिन को बनाने वाले सेल जेनरेट कर सकते हैं, जो हमारे शरीर में मौजूद पैंक्रिएटिक बीटा सेल्स की तरह काम करते हैं. डायबिटीज के मरीजों में इन सेल्स को ट्रांसप्लांट कर के डायबिटीज की समस्या को दूर किया जा सकता है.'