भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Ex CM DIGVIJAY SINGH), पूर्व मंत्री राजा पटेरिया (Ex MINISTER RAJA PATERIA) एवं पूर्व आईएएस अफसर आर.परशुराम (Ex IAS R. PARASHURAM) के खिलाफ दर्ज अपराध क्रमांक 35/15 मामले में कोर्ट सख्त हो गया है। भोपाल कोर्ट ने एसपी ईओडब्ल्यू (SP EOW) को आदेशित किया है कि वो 11 मार्च तक मामले की जांच रिपोर्ट के साथ उपस्थित हों अन्यथा न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
क्या है मामला
बता दें कि तीनों पर आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (RKDF Institute of Science and Technology) को जुर्माना से बचाने के लिए पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। भोपाल स्थित आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा शैक्षणिक सत्र 2000-2001 एवं 2001-2002 में अनधिकृत रूप से 12 छात्रों को दाखिला दिया गया। इस पर राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग के नियमानुसार इस संस्थान को 24 लाख रुपये बतौर समझौता शुल्क जमा करना था। ईओडब्ल्यू के अनुसार, आरकेडीएफ एजुकेशन सोसायटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील कपूर एवं अन्य के साथ आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होकर तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटैरिया ने प्रस्तावित 24 लाख रुपये के समझौता शुल्क को घटाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दिया था। दिग्विजय ने प्रस्तावित पांच लाख रुपये के समझौता शुल्क में भी ढाई लाख रुपये की कटौती करने का अनुमोदन किया। इस तरह समझौता शुल्क के तौर पर ली जाने वाली राशि 24 लाख रुपये के बदले इंस्टीट्यूट से सिर्फ ढाई लाख रुपये ही लिए गए। इससे राज्य शासन को साढ़े 21 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
क्या मामला दर्ज किया गया था
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया, इंस्टीट्यूट के सुनील कपूर के खिलाफ भारतीय दंड विधान एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत प्रथम दृष्टया अपराध घटित होना पाए जाने पर प्राथमिकी दर्ज की है। यह प्रकरण जांच के बाद दर्ज किया गया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह वर्ष 1993 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे हैं।
कोर्ट सख्त क्यों हुआ
अदालत ने 2015 की अप्रैल व जुलाई में ईओडब्ल्यू से रिपोर्ट पेश करने की बात कही थी, लेकिन ईओडब्ल्यू ने फरवरी 2019 तक रिपोर्ट पेश नहीं की। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को लिखे पत्र में कहा है कि न्यायालय के कई आदेश के बाद भी प्रतिवेदन पेश नही किया है। न्यायालय के निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। आपको आदेशित किया जाता है कि अपराध क्रमांक 35/15 के संबंध में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट न्यायालय के सामने 11 मार्च तक हर हाल में पेश करें। नहीं तो इसे न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी और कानून के अनुसार अगली कार्रवाई की जाएगी।