सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में 9 फरवरी को एक साल की बच्ची अंशिका अहिरवार की मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्ची की मौत का कारण श्वांस नली में दूध का अटक जाना है। इस मामले में परिजनों ने जूनियर डॉक्टर ज्योति राउत पर आरोप लगाया था कि उन्होंने बच्ची का इलाज नहीं किया। कमिश्नर सागर ने ज्योति को सस्पेंड कर दिया था।
जांच समिति ने भी डॉ ज्योति को क्लीनचिट दी
पोस्टमार्टम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की पैनल ने किया है। इसमें डॉ. गौरव तिवारी, डॉ. शैलेंद्र पटेल और डॉ. मीनू पुरुषोत्तम शामिल थे। यह रिपोर्ट फिलहाल डीन कार्यालय भेजी गई है। वहीं मामले की जांच के लिए बनी पांच सदस्यों की कमेटी ने भी रिपोर्ट डीन के समक्ष प्रस्तुत की है। सूत्रों की माने तो इस रिपोर्ट में भी साफ तौर पर महिला डॉक्टर को क्लीनचिट दी गई है। हालांकि प्रबंधन ने अब तक इन दोनों रिपोर्ट पर अपनी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। डीन डॉ. जीएस पटेल का कहना है कि हमें दोनों रिपोर्ट मिल चुकी हैं, लेकिन अभी इन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
डा. ज्योति ने 1 करोड़ का वेंटिलेटर मांगा था
8 फरवरी को कर्रापुर निवासी एक साल की अंशिका अहिरवार घर में खेलते हुए खौलते पानी में गिर गई थी। घटना में बुरी तरह जली मासूम को परिजनों ने इलाज के लिए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। जहां इलाज के दौरान 9 फरवरी को अंशिका की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर डॉ. ज्योति राउत पर इलाज के लिए 1 करोड़ के वेंटीलेटर की मांग करने के आरोप लगाए थे और इसका एक वीडियो भी जारी किया था। मामला उजागर होने के बाद बीएमसी प्रबंधन ने महिला डॉक्टर को सस्पेंड किया और जांच के लिए पांच सदस्यों की कमेटी गठित की थी।