चुनावों में शामिल काले हाथों की काली करतूत | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
पता नहीं अब किस प्रदेश की बारी है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब के सेवन से मौत का आंकड़ा सौ के पार पहुंच गया है, जबकि कई लोगों की हालत अब भी गंभीर है। कहने को कुछ राज्यों में शराब बंदी है परन्तु अवैध शराब का निर्माण और विक्रय उन राज्यों में भी  जोरो पर है, वे काले हाथ जो चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है इस धंधे के सिरमौर हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार में एक भोज में लोगों ने शराब पी थी। जहरीली शराब के सेवन से रात में ही लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था लेकिन रात में मौसम खराब होने की वजह से प्राथमिक उपचार नहीं हो सका और कई लोग अकाल मौत के शिकार हो गए। छोटी सी पालीथीन में भरकर कच्ची शराब धडल्ले से पूरे देश में बिकती है। निर्माता और विक्रेता नेताओं और अफसरों के संरक्ष्ण में ये जानलेवा खेल खेल रहे हैं।

मौत के आंकड़ों से दोनों सरकार सकते में है और पूरे उत्तर प्रदेश में छापेमारी और गिरफ्तारी की कार्रवाई जारी है। कई लोग गिरफ्तार हुए हैं, कई अधिकारी निलंबित हुए हैं, सैकड़ों लीटर अवैध शराब अलग-अलग जगहों से जब्त की गई है। योगी सरकार ने फिलहाल मुआवजे का ऐलान कर दिया है। और साथ ही साथ समाजवादी पार्टी पर साजिश का आरोप भी मुख्यमंत्री ने लगा दिया है। पूर्ण बहुमत से चुनी हुई सरकार को न जाने क्यों यह गुमान हो जाता है कि उसका लिया हर फैसला सही है और उसकी कही हर बात पत्थर की लकीर। जो जनता उसे अपने और राज्य के हितों की रक्षा के लिए सत्ता सौंपती है, उसका ऐसा तिरस्कार किया जाता है, मानो उसकी जिंदगी की अहमियत कीड़े-मकोड़ों से अधिक नहीं है। इस शराब कांड से यही बात फिर साबित होती है।

सब जानते हैं कि देसी शराब बनाने से लेकर ठेकों तक पहुंचाने और वहां 40-45 रूपए से लेकर 50 रूपए तक अलग-अलग कीमतों में बेचने का काम बड़े पैमाने पर होता है शराब के नाम पर जो कुछ बनाया और बेचा जा रहा है, उसे जहर के अलावा और कुछ नहीं कहना चाहिए। क्योंकि इसे बनाने के लिए एथेलान, मिथाइल एल्कोहल समेत आक्सीटोसिन के इंजेक्शन और यूरिया, आयोडेक्स जैसी तमाम खतरनाक चीजों और रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। जानकार बताते हैं कि शराब को ज्यादा नशीली बनाने के लिए डीजल, मोबिल ऑयल, रंग रोगन के खाली बैरल और पुरानी हांडियों का इस्तेमाल किया जाता है और गंदे नालों  के पानी को इसमें मिलाया जाता है।

डाक्टर मानते  हैं कि अधिक मिथाइल एल्कोहल शराब के साथ शरीर में जाने से ब्रेन डेड हो जाता है। इसके बाद लगातार बेहोशी रहती है। और इस शराब कांड में ज्यादातर मरीज भी बेहोश थे और उनका ब्रेन डेड था। यानी इसमें मिथाइल एल्कोहल मिला होगा? अब यह जांच का विषय होना चाहिए। चुनावी घोषणापत्रों में बड़ी-बड़ी बातें करने वाले राजनीतिक दलों ने कभी अवैध शराब की बिक्री को रोक लगाने के लिए बड़ा संकल्प, बड़ा ऐलान क्यों नहीं किया? देश की बड़ी जांच एजेंसियों के राडार पर ऐसे अवैध शराब कारोबारी क्यों नहीं आते? मंदिर-मस्जिद, श्मशान-कब्रिस्तान करने वाले बड़बोले नेता क्या यह नहीं जानते हैं कि कच्ची शराब कौन बना रहा है ये वही हाथ है जो चुनावो में सहारा बनते हैं।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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