भोपाल। विगत 04 फरवरी को माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर ने अपने महत्त्वपूर्ण फैसले में कम वेतन को न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 का उल्लंघन मान कर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को कलेक्टर रेट देने के आदेश पारित किए थे। दिनांक 06 फरवरी 2019 को श्री संजय कुमार संचालक वित्त लोक शिक्षण संचालनालय मप्र भोपाल ने चौकीदार, मुख्य रसोइया, सहायक रसोईया व सहायिका को निश्चित मानदेय के स्थान पर कलेक्टर रेट देने के लिए लगभग दो करोड़ दो लाख का आबंटन कर आदेश जारी किया है जो अप्रैल 2018 से देय है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि प्रदेश में अतिथि शिक्षक जो विगत छः वर्षो से प्रदेश में अपनी सेवाऐं दे रहे है इनको चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम मानदेय वह भी कार्यदिवस के मान से। इनको किसी प्रकार के अवकाश की पात्रता भी नहीं व (अप) मानदेय भी नियमित नहीं।
सभी अतिथि शिक्षक प्रशिक्षित होकर अपना भविष्य दांव पर लगाकर प्रदेश के नोनिहालों का भविष्य संवारते हुए सरकार की उपेक्षा व शोषण का शिकार हो रहे है। इन्हें कम से कम कुशल श्रमिक के समान कलेक्टर दर से तो भुगतान सुनिश्चित किया जाए। इनका शोषण मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन व हनन होकर सरकारी अत्याचार का उदाहरण है।